जैसा कि आप सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में साल 2007 में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे. हम आपको बता दें कि इन दंगों को लेकर अब एक बड़ी खबर हमारे सामने आ रही है. इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अब किसी भी तरह की कोई भी कार्यवाई नहीं होगी.
कार्यवाई न होने का कारण है इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा उस याचिका को खारिज किया जाना जिसमे सीएम योगी को इन दंगों में दोषी करार दिया गया था. पिछले साल यानि कि 2017 में 18 दिसंबर की तारीख में इलाहबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया था और योगी आदित्यनाथ को अपराधी मानने से इनकार कर दिया था.
ऐसा राज्य सरकार ने भी किया था और योगी को अपराधी मानने से इनकार कर दिया था और इसका कारण योगी के खिलाफ पुख्ता सुबूत न होना बताया था. सीआईडी क्राइम ब्रांच ने जब इस मामले की जांच की तो सरकार ने कोर्ट से इस मामले को बंद करने की फाइल लगा दी. ऐसा होने पर याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बिना जांच हुए ही इस केस को बंद कर दिया गया. इसी कारण कोर्ट ने इस मामले के दोबारा जांच के आदेश दिए.
इसपर याचिकाकर्ता एसएफ़ए नक़वी का कहना है कि राज्य सरकार ने इस मामले को बंद कर दिया है जिसके बाद हमने आपत्ति तो की है लेकिन सरकार के मुलाजिम अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग कैसे करेंगे?
एक और याचिकाकर्ता हैं जिनका नाम परवेज परवाज है. इनका कहना है कि उन्होंने अपनी आँखों से देखा था कि रेलवे स्टेशन के पास एक मंच था जिसपर यह लोग भाषण दे रहे थे और एक के बदले 10 मुसलमानों को मारने की बात कर रहे थे. इतने सारे गवाह और सुबूत होने के बावजूद सरकार को कोई भी सुराग नहीं मिला जो कि काफी हैरानी की बात है.
जब याचिकाकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज की थी तो यह मामला राज्य सरकार द्वारा सीआईडी को सौंप दिया गया था. इसपर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह मामला किसी दूसरी एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए.