हम आपको बता दें कि प्रयागराज की एक स्थानीय अदालत ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पूर्व बीएसपी सांसद कपिल मुनि कावरिया और उनके भाइयों सूरजभान (पूर्व बीएसपी एमएलसी) और उदयभान (पूर्व बीजेपी विधायक) पर से 22 साल पुराने मर्डर केस को वापस लेने की मांग की गई थी। हम आपको यह भी बता दें कि यह तीनों इस वक्त प्रयागराज के नैनी जेल में बंद हैं।
बता दें कि उदयभान की पत्नी नीलम प्रयागराज की मेजा विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक हैं। तीनों भाइयों पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की 1996 में हत्या का आरोप है।
इन तीनों के चाचा भी इस मामले में आरोपी हैं। स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार की केस वापस लिए जाने की याचिका को ठुकरा दिया।
अदालत में यह याचिका इसी साल दिसंबर के पहले हफ्ते में लगाई गई थी। इस याचिका के खिलाफ मृतक की पनी विजमा यादव ने भी अर्जी लगाई थी। विजमा भी समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुकी हैं।
बचाव पक्ष के वकील शीतला प्रसाद मिश्रा ने कहा, ‘केस वापस लेने की याचिका के खिलाफ लगाई अर्जी में सरकार के कदम का इस आधार पर विरोध किया गया था कि के’स में अब सुनवाई आखिरी चरण में पहुंच चुकी है और डिफेंस के गवाहों ने गवाही दे दी है।’
वहीं, अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 13 अगस्त 1996 को झूंसी विधानसभा सीट से विधायक जवाहर की प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बता दें कि राज्य सरकार ने सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्य और केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला समेत कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमे वापस लेने के लिए कोर्ट में आवेदन किया हुआ है।
मौर्य से केस वापस लेने का कदम इस साल नवंबर में उठाया गया। वहीं, योगी और शुक्ला से केस हटाने की प्रक्रिया पिछले साल दिसंबर में शुरू हुई।
बीजेपी सरकार ने कुछ महीने पहले 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में 131 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने कहा था कि यह केस वापस लिए जाने लायक नहीं थे।