हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा का नया सत्र शुरु होने के पहले प्रोटेम स्पीकर के तौर पर कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना को शपथ दिलाई गई. हम आपको यह भी बता दें कि शपथ ग्रहण की पूरी प्रक्रिया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पूरी कराई.
दीपक सक्सेना को सीएम कमलनाथ का करीबी विधायक माना जाता है. दीपक सक्सेना, कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा के तहत आने वाले छिंदवाड़ा सदर सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं. दीपक सक्सेना छिंदवाड़ा से 04 बार चुनाव जीत चुके हैं.
संसदीय पंरपराओं के जानकार हैं दीपक
2018 के विधानसभा चुनाव में दीपक सक्सेना ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चौधरी चंद्रभान सिंह को लगभग 20 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था.
63 वर्षीय दीपक सक्सेना को संसदीय राजनीति का बड़ा जानकार माना जाता है. उम्मीद जताई जा रही है कि सदन को सुचारु रुप से चलाने के लिए दीपक सक्सेना का अनुभव काम आएगा. प्रोटेम स्पीकर का दायित्व बेहद गंभीर होता है.
प्रोटेम स्पीकर किसे कहते हैं
प्रोटेम स्पीकर को उप राज्यपाल के बराबर का दर्जा प्राप्त होता है. इस पद के लिए सबसे बड़ी योग्यता यह होती है कि वो वर्तमान सदन के सबसे सीनियर सदस्यों में से एक हो. सदन चलाने के लिए नियम कानून का ज्ञान हो.
प्रोटेम स्पीकर की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि प्रोटेम स्पीकर की अध्यक्षता में ही सरकार का बहुमत परीक्षण होता है. प्रोटेम स्पीकर के विवेक पर निर्भर होता है कि वह बहुमत परीक्षण के लिए वोटिंग में कौन से तरीके का इस्तेमाल करता है.
कई नाम थे चर्चा में
कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की ओर से शिवपुरी जिले के पिछोर सीट से 06 बार के विधायक के पी सिंह का नाम रेस में था. के पी सिंह के बारे में चर्चा थी कि वो सरकार में मंत्री बन सकते हैं लेकिन मंत्रिपरिषद में नाम नहीं आने के बाद लग रहा था कि उन्हें ही प्रोटेम स्पीकर की कुर्सी दी जा सकती है, पर ऐसा नहीं हुआ.
अब अनुमान व्यक्त किए जा रहे हैं कि के पी सिंह पूर्णकालिक स्पीकर बन सकते हैं. मध्य प्रदेश की नवगठित विधानसभा का पहला सत्र 07 जनवरी से शुरु हो रहा है.