सीबीआई की जांच वयवस्था पर काफी सवाल उठाये जा रहे हैं ऐसा आरुशी मर्डर के बाद हो रहा है| कोर्ट ने भी अब सीबीआई पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है और उसकी जांच प्रणाली पर भी सवाल उठाये हैं| जेएनयू के लापता छात्र पर हो रही लापरवाही को लेकर कोर्ट इन दिनों सीबीआई से सवाल कर रहा है|
मामला जेएनयू में पढ़ रहे एमएससी बायो टेक्नोलॉजी विभाग के छात्र नजीब अहमद का है जो करीब एक साल से गायब है | मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस और सीबीआई अब तक इस केस का कोई भी सुराग नही ढूंढ पायी है |
दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा की “लापता छात्र नजीब अहमद के मामले की जांच में सीबीआई की ओर से ‘दिलचस्पी का पूरी तरह अभाव’ रहा है।”
यह केस पांच महीने पहले सीबीआई को सौपा गया था जिसका कोई नतीजा अब तक नही मिला | कोर्ट ने यह फटकार सीबीआई द्वारा अदालत में कही गई बातों और उसकी स्थिति रिपोर्ट में विरोधाभास मिलने के बाद लगायी |
लापता छात्र की मा फातिमा नफीस की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर की पीठ ने कहा कि ‘किसी रूप में कोई परिणाम नहीं है। कागजों पर भी कोई परिणाम नहीं निकला।’
हाई कोर्ट ने सवाल किया की संदिग्ध का पॉलीग्राफी टेस्ट क्यो नहीं कराया गया है? संदिग्धों के व्हाट्सअप की जानकारी क्यो नहीं आई? आपको बता दे सीबीआई ने रिपोर्ट संदिग्ध छात्रों के फोन कॉल और संदेश के विश्लेषण के आधार पर दी थी | जिस पर कोर्ट ने एक बेहतर रिपोर्ट पेश करने की मांग की |
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी कटघरे में खड़ा किया जिसमे कोर्ट ने हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सीधे तौर पर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नजीब अहमद की मां फातिमा ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से 15 अक्तूबर, 2016 को लापता बेटे का पता लगाने के लिए आदेश जारी करें।