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नोटबंदी की योजना हुई फेल, इससे काला धन नहीं निकलेगा

demonetisation becomes unsuccessful

काला धन और जाली मुद्रा को निशाना बनाने के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद किए जाने से कोई फायदा नहीं होगा और यह ‘निरर्थक कवायद’ बन कर रह जाएगी। बैंक इंप्लाई फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) के महासचिव प्रदीप विश्वास ने यह बातें कही। विश्वास ने आईएएनएस को बताया, ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान के मुताबिक जाली नोट चलन में शामिल मुद्राओं का महज 0.028 फीसदी है, और नकदी के रूप में जो काला धन है वह कुल रकम के 10 फीसदी से भी कम है।’

उन्होंने कहा, ‘काला धन और नकली नोट को निशाना बनाने के लिए नोटबंदी कोई तरीका नहीं है।’ बिश्वास ने कहा कि देश की करीब 86 फीसदी नकदी 500 और 1000 रुपये के नोट के रूप में है। उन्हें पर्याप्त उपायों के बिना चलन से बाहर करने से देश की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, ‘किस प्रकार हम केवल 13 फीसदी नकदी जो 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोट के रूप में हैं, से नोटबंदी के बाद बंद हुई 86 फीसदी मुद्राओं से बदलेंगे। दिसंबर के पहले हफ्ते में स्थिति और बदतर होने वाली है, जब लोग बैंक से अपना वेतन निकालेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल लोग एक हफ्ते में 24,000 रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते और बैंक इस सीमा की भी रकम मुहैया कराने में फिलहाल असमर्थ हैं। वे कह रहे हैं कि आप केवल 4-5 हजार रुपये निकालें, क्योंकि उनके पास नकदी की आपूर्ति कम है।’ बिश्वास ने मुद्रा की आपूर्ति में कमी के मद्देनजर नोट की छपाई विदेश से करवाने की चर्चा के बीच कहा कि ऐसा करने से मुद्रा छपाई की तकनीक के चोरी होने की संभावना बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक बहसों में ऐसी राय सामने आ रही है कि नोट की छपाई विदेशों से करवाई जाए। लेकिन इससे तकनीक और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा।’

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