वाशिंगटन: मुस्लिम धर्म में जिस तरह से नमाज़ पढ़ी जाती है उससे शरीर के निचले हिस्से में कमर दर्द की परेशानी दूर हो जाती है ऐसा एक शोध में पता चला है। शोध के मुताबिक रोज नमाज के दौरान जिस तरह से शारीरिक क्रियाएं की जाती है, वे जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद होती है। हाल ही इस शोध से जुड़े पेपर्स इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड सिस्टम इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुए हैं।
गौरतलब है कि दुनिया भर में करीब 1.6 बिलियन मुस्लिम प्रतिदिन पांच बार नमाज अदा करते हैं। इस दौरान वे सऊदी अरब के मक्का स्थित पवित्र काबा की दिशा में अपने घुटनों पर बैठकर नमाज अदा करते हैं। साथ ही गर्दन, कमर, घुटनों का मूवमेंट भी करते हैं। इस्लाम धर्म की पाक पुस्तक कुरअान में हर मुस्लिम के लिए ऐसा पांच बार करना फ़र्ज़ बताया गया है। इस शोध के प्रमुख मोहम्मद खसवनेह के साथ उनके दो साथी भी हैं।
शोध की रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन ऐसा करने से हृदय रोग के साथ ही मोटापे का खतरा भी नहीं रहता है। शोध के प्रमुख मोहम्मद खसवनेह ने कहा कि नमाज के दौरान की जाने वाली कुछ क्रियाएं योग व शारीरिक अभ्यास कमर दर्द में हितकारी होती है। हालांकि शोध में इस्लामिक नमाज पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन ईसाई और यहूदी धर्म की प्रार्थना का भी उल्लेख किया गया है जहाँ कुछ समान क्रियांए पाई जाती हैं।
शारीरिक स्वास्थ्य जीवनशैली और धार्मिक कारकों से प्रभावित है। इसके अलावा अध्ययन से संकेत मिलता है कि शारीरिक और स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के बारे में नमाज और सतर्कता के बीच एक मजबूत सहयोग होता है। नमाज शारीरिक तनाव और चिंता को ख़त्म कर सकती है, जबकि शोध यह भी इंगित करता है कि नमाज को न्यूरो-मस्कुल्कोकेलेटल रोग के प्रभावी नैदानिक उपचार माना जा सकता है।