जीएसटी चोरी रोकने को अहम कदम उठाते हुए जीएसटी काउंसिल ने एक अप्रैल, 2018 से देशभर में अंतर्राज्यीय(इंटर-स्टेट) माल ढूलाई के लिए ई-वे बिल लागू करने का फैसला किया है. ऐसा होने पर 50,000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तुओं की ढुलाई के लिए ई-वे बिल लेना पड़ेगा. हालांकि राज्य के भीतर माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल 15 अप्रैल से अलग-अलग राज्यों में चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा.
एक जून तक पूरे देश में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 26वीं बैठक में कई अहम फैसले किए गए. जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया सरल बनाने और सिंगल रिटर्न के प्रस्ताव पर सहमति न बनने के कारण काउंसिल ने जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-1 रिटर्न की मौजूदाव्यवस्था को तीन माह तक बढ़ाने का फैसला भी किया है.
इसी तरह ई-वॉलेट स्कीम अब तक न बन पाने के कारण निर्यातकों को मिल रही टैक्स छूट की सुविधा छह माह और एक अक्टूबर, 2018 तक जारी रहेगी. इससे पहले काउंसिल ने छह अक्टूबर, 2017 को हुई बैठक में निर्यातकों को ई-वॉलेट बनने तक उनके द्वारा खरीदे गए सामान पर मात्र 0.1 प्रतिशत जीएसटी भुगतान की की सुविधा दी थी.
यह सुविधा 31 मार्च को खत्म हो रही है, इसलिए इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया गया. काउंसिल ने रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म, टीडीएस व टीसीएस जैसे विवादित प्रावधानों को भी 30 जून, 2018 ठंडे बसते में डालने का निर्णय किया है.
काउंसिल ने इस बिल से जुड़े कई नियमों में भी बदलाव किया है. नए नियमों के तहत सिर्फ उन्हीं सामान के लिए ई-वे बिल की जरूरत पड़ेगी, जिनका मूल्य 50 हजार से ज्यादा है. रेल जैसे सार्वजनिक परिवहन साधनों में भी सामान ले जाने के लिए ई-वे बिल जरूरी होगा. इसके लिए ई-वे बिल लेने की जिम्मेदारी सामान भेजने या मंगाने वाले की होगी, रेलवे ई-वे बिल जनरेट नहीं करेगा.