नई दिल्ली: जैसा कि आप सब जानते हैं कि अभी जल्दी ही भारत में पाँच राज्यों में चुनाव हुए हैं. और बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने चुनाव के नतीजे आने के बाद चुनाव आयोग से ईवीएम मशीन में गड़बड़ी होने की शिकायत भी की थी। और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है। पहले चुनाव आयोग ने मना कर दिया था और कहा था कि ईवीएम मशीन में कोई गड़बड़ी नहीं है। लेकिन अब चुनाव आयोग ने इस बात को मान लिया है कि इन चुनावों में कुछ तो गड़बड़ी हुई है.
टीवी और समाचार पत्रों में एक तरफा रिपोर्टिंग को देखते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि वोटिंग खत्म होने के पहले से माडिया से ज्योतिषियों, टैरो कार्ड रीडर, राजनीतिक विश्लेषकों और अन्य दूसरी भविष्यवाणियों या अनुमानों को प्रकाशित और प्रसारित न किए जाएं।
सभी अखबारों और न्यूज चैनलों के लिए जारी की गई एडवाइजरी में चुनाव आयोग ने कहा है कि इस तरह की भविष्यवाणी या अनुमान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 ए की भावना के खिलाफ है। इसलिए आने वाले चुनावों में इसे प्रकाशित या प्रसारित करने से परहेज करें। आयोग ने कहा है कि ऐसा करने वाले मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है।
आयोग की ओर से गुरुवार को जारी ताज़ा निर्देश में कहा गया है कि इस तरह की भविष्यवाणी या अनुमान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 ए की भावना के ख़िलाफ़ है। आयोग ने कहा है कि सिर्फ व्यावसायिक कारणों से प्रतिद्वंद्वी चैनलों से आगे निकलने के लिए इस तरह का प्रसारण उचित नहीं है, इसलिए स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में सभी तरह की मीडिया को इस तरह के कार्यक्रम को प्रकाशित एवं प्रसारित न करने की सलाह दी जाती है।
गौरतलब है कि आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक चुनाव समाप्ति के बाद ही किसी एग्जिट पोल का प्रसारण हो सकता है। कानून की धारा 126 ए मीडिया को वोटिंग के 48 घंटे पहले से लेकर जब तक वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल दिखाने से प्रतिबंधित करती है। आयोग ने कहा कि एक चैनल पर शो के दौरान अलग-अलग फील्ड्स से मौजूद पैनलिस्टों और राजनीतिक विश्लेषकों ने पहले से ही राजनीतिक दलों को मिलने वाली सीटों का अनुमान व्यक्त किया था।
आपको बता दें कि ओपिनियन मेकिंग में टीवी और समाचार पत्रों का बड़ा रोल रहा है। पिछले चुनावों में पूरे चुनाव के दौरान कई समाचार पत्रों और चैनलों ने बीजेपी के सपोर्ट में खबरें चलाई थीं। यहां तक कि दैनिक जागरण के एडिटर को बीजेपी के सपोर्ट में ऐक्जिट पोल जारी करने के आरोप में गिरफ्तार तक कर लिया गया था।