जैसा कि आप सब जानते हैं कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है. हम आपको बता दें कि हमारे देश का लोकतंत्र अब खतरे में है.
लोकतंत्र की निगरानी का काम चुनाव आयोग के जिम्मे है. चुनाव आयोग सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर काम कर रहा है. आज एक बार फिर से चुनाव आयोग की चोरी पकड़ी गई है.
1. बार बार रद्द किया प्रेस कांफ्रेंस
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर आज चुनाव आयोग ने संवाददाता सम्मेलन बुलाया था. पहले ये सम्मेलन दोपहर के 12 बजे होना था लेकिन पत्रकारों के पहुंचने के बावजूद सम्मेलन का समय बढ़ा दिया गया क्योंकि राजस्थान में हार के कगार पर खड़ी भाजपा के पक्ष में प्रचार करने पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचें हुए हैं. चुनाव आयोग ने समय इसलिए बढ़ा दिया ताकी नरेंद्र मोदी वहां कोई लोकलुभावन घोषणा कर सकें.
2. प्रेस कांफ्रेंस के बाद नहीं कर सकते थें घोषणा
सब जानते हैं कि चुनाव आयोग के प्रेस कॉंफ्रेंस करते हीं आचार संहिता लग जाती है और इसके बाद कोई भी घोषणा नहीं की जा सकती. मोदी के दबाव में चुनाव आयोग ने दो दो बार प्रेस कॉंफ्रेंस को टाल दिया. चुनाव आयोग की इस करतूत की देश भर में निंदा हो रही है.
निष्कर्ष:
वर्तमान चुनाव आयोग सरकारी तोते की तरह काम कर रही है. इसके रहते देश में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है.