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जीडीपी में गिरावट और कारोबार में कठिनाई के बावजूद राजनैतिक दलों की संपत्ति में हुई है तेज़ वृद्धि

भारत में जीडीपी में गिरावट आने का सबसे बड़ा कारण नोटबंदी और जीएसटी है। इन्ही आर्थिक समस्याओं के बीच राजनैतिक दलों की संपत्ति में कई गुना की वृद्धि हुई है।

एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स(एडीआर) ने बड़े महत्वपूर्ण आकंड़े जारी किए हैं। यह आंकड़े राजनैतिक दलों की घोषित आय के आधार पर तैयार किए गए हैं।

एडीआर के अनुसार राजनैतिक दलों की संपत्ति में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की संपत्ति में 11 साल में 7 गुना की वृद्धि हुई है और अब वह भारत की सबसे अमीर पार्टी बन गई है।

संस्था का कहना है कि यह संपत्ति राजनैतिक दलों के रिज़र्व फंड के रूप में है जो पार्टी की देनदारी घटाने के बाद बचता है।

आंकड़ों के अनुसार दो हज़ार चार पांच से दो हज़ार पंद्रह सोलह के बीच भारतीय जनता पार्टी की संपत्ति में 627 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बीजेपी ने 2004-05 में तक़रीबन 123 करोड़ की संपत्ति ज़ाहिर की थी, जो 2015-16 में बढ़कर लगभग 894 करोड़ हो गई। बीजेपी की कुल देनदारी 24 करोड़ बताई गई है यानी पार्टी के रिज़र्व फ़ंड में साल 2015-16 तक 868 करोड़ रुपये थे। इन्हीं सालों में कांग्रेस की संपत्ति 167 करोड़ से बढ़कर 758 करोड़ हो गई लेकिन 329 करोड़ की सबसे बड़ी देनदारी के चलते, रिज़र्व फ़ंड के मामले में कांग्रेस पिछड़ गई। बीजेपी के बाद सबसे बड़ा रिज़र्व फ़ंड बहुजन समाज पार्टी के पास है, जो इन ग्यारह सालों के दौरान 43 करोड़ से बढ़कर 557 करोड़ पर पहुंच गया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तीसरे नंबर पर है। उसका रिज़र्व फ़ंड 432 करोड़ बताया गया है।

भाजपा की संपत्ति में बढ़त 2014-15 से शुरू हुई है। इससे पहले कांग्रेस पहले नंबर पर थी।

सभी दलों की घोषित की गई कुल संपत्ति का 59 फ़ीसदी अन्य संपत्तियों में दिखाया गया है। अन्य संपत्ति यानी अदर एसेट वह होती हैं जिनके बारे में जानकारी देने के लिए पार्टियां बाध्य नहीं होतीं।