हम आपको बता दें कि देश में अनाज के बजाय सब्जी की खेती करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, लेकिन बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश में एक ऐसा मामला देखने को मिला, जिसने इस बात को बिलकुल ग़लत साबित कर दिया है.
इंदौर के किसान को 20 क्विंटल आलू के लिए मिला 1 रुपया
यूँ तो बीते कई सालों से देश में किसानों की बदहाली किसी से नहीं छिप सकी है. कर्ज के बोझ के तले रोज़ाना कई किसान आत्महत्या करने को मजबूर है. इसी बीच जब इंदौर के एक गरीब किसान का दर्द आप सुनेगे जिसे 20 क्विंटल आलू बेचने के लिए सरकार ने मात्र 1 रुपए दिए तो सोचेंगे कि आखिर इस हाल में देश का किसान आत्महत्या न करे तो क्या करे.
आलू की खेती साबित हुई किसान के लिए घाटे का सौदा
जी हाँ इंदौर के रहने वाले गरीब किसान राजा चौधरी के लिए आलू की खेती करना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती उस वक्त साबित हुआ जब राजा चौधरी इंदौर के चोयथराम मंडी में 20 क्विंटल आलू बेचने गये. जिसके दाम उन्हें कहने के लिए तो 1075 रुपए मिले लेकिन आलू को मंडी में पहुंचाने में जो कुल खर्च आया वो था करीब 1074 रुपए का. यानी गरीब राजा चौधरी को आलू बेचने पर महज एक रुपए का फायदा हुआ.
शिवराज सरकार में रो रहे हैं आलू किसान
आज जिस देश में एक रुपया भिखारी भी भीख में नहीं लेता उस देश में सालभर खेतों में कड़ी मेहनत करने के लिए जब महज 1 रुपया हाथ में आए तो सोचिये किसान को कैसा लगता होगा. अगर इस किसान राजा चौधरी की माने तो उनका दावा है कि इस बार तो उसे एक रुपए का मुनाफा भी हुआ है, लेकिन पिछली बार जब उसने 1620 रुपए के आलू बेचे थे, तो उनका कुल खर्च ही 2393 रुपए आया था. जिससे उन्हें 773 रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
अपनी बात को सच साबित करने हुए और मोदी सरकार के तमाम दावों की पोल खोलते हुए किसान राजा ने अपने खर्च और आमदनी के सभी बिल अपने पास संभालकर रखे हुए हैं.
निष्कर्ष:
सत्ता में आने से पहले जो प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अपने तमाम घोषणापत्रों में किसानों के विकास की बात करते रहे हैं ऐसे में राजा चौधरी जैसे किसानों की बदतर हालत इस बात का साबुत हैं कि किसानों से किये तमाम वायदे महज जुमले बनकर रह गये हैं. हकीकत में गरीब किसान मोदी सरकार के लिए महज एक वोटबैंक बनकर रह गये हैं जिनकी सुध न तो सरकार लेना चाहती हैं और न ही उनका कोई मंत्री.