गूगल ने कल यानी 2 नवम्बर को उर्दू के महान लेखक अब्दुल कावि देसनवी के जन्मदिन को मनाया था और साथ में बहुत ही अच्छे तरीके से इनको श्रद्धांजली भी दी| गूगल ने इनका जन्मदिन मनाने के लिए इनका एक डूडल भी बनाया था| इस डूडल पर क्लिक करके आप अब्दुल कावि देसनवी की पूरी जानकारी ले सकते हैं|
कौन थे देसनवी साहब?
जिनका जन्मदिन खुद गूगल तक मना रहा हो मेरा दावा है भारत में 95 प्रतिशत लोग उस आदमी के बारे में जानते तक नहीं होगें | इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है ? आपको इनके बारे में हम जानकारी देते है। अब्दुल कावि देसनवी उर्दू के महान लेखक होने के साथ ही साहित्य जगत के बहुत अच्छे क्रिटिक और खुद एक उम्दा साहित्यकार थे |
उर्दू साहित्य में उन्होंने बहुत सी किताबें लिखी हैं और इनके लिए इन्हें बहुत सारे अवार्ड्स से नवाजा भी गया है | वैसे तो अब्दुल कावि साहब ने जो भी लिखा उसका कोई सानी नहीं है लेकिन इन्होने मौलाना अबुल कलाम आजाद, मिर्जा नौसा अर्थात ग़ालिब और अलामा मोहम्मद इक़बाल जैसे महान लोगों के लिए कलम चलाई है जो आज तक लोगों में चर्चा का केंद्र है |
जावेद अख्तर इन्हीं के शागिर्द रहे हैं
अब्दुल कावि साहब खुद उर्दू,अरबी और फ़ारसी के बहुत जबरदस्त उस्ताद थे और बाकायदा इन जबानों के प्रोफ़ेसर के तौर पर काम भी किया है | इनके पिता सईद मिर्जा थे | आज के समय हम जो तमाम विद्वान,कवि,शायर,दार्शनिक और अध्यापक देखते हैं उनमे से न जाने कितने इनके शागिर्द रहे हैं | आज के समय के फ़िल्मी जगत के बड़े लेखक जावेद अख्तर के उस्ताद भी अब्दुल कावि देसनवी साहब ही थे |
अब्दुल कावि देसनावी साहब की शिक्षा दीक्षा भी बहुत अच्छी हुई थी | वो मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले छात्र थे | देसनवी साहब ने 1961 में सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज का उर्दू विभाग ज्वाइन कर लिया था। यहाँ पर वो 1990 तक अपनी सेवाएं देते रहे |
बहुत सारे खिताबों से नवाजे गये
जब अब्दुल कावि देसनवी साहब अपनी सेवाओं से रिटायर्ड हुए तो उनको बहुत सी उपाधियों से नवाजा गया और बहुत सारे ख़िताब उनके हिस्से आये | इन खिताबों में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के अध्यक्ष होने से लेकर सैफिया पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में अतिरिक्त प्राचार्य जैसे पद मिलना शामिल रहा है |
ये देश का दुर्भाग्य ही कहा जाए कि ऐसी महान शख्सियत के बारे में हम तब जान रहे हैं जब कोई बाहर के लोग उनको सम्मान दे रहे हैं । वरना उसके पहले तक तो हमने इनका नाम तक नहीं सुना था | में अपने पूर्वजों का सम्मान करना सीखना चाहिए तब ही हम सफल हो सकते हैं | इनके जन्मदिन पर हमारी पूरी टीम इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सम्मान से नमन करती है ।
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