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हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव को दिया बहुत ही तगड़ा झटका, सुना दिया यह फैसला

तो चलिए अब हम बात करते हैं बाबा रामदेव की। हम आपको बता दें कि बाबा रामदेव की पतंजली कंपनी विवादों का हिस्सा बन चुकी है। हम आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी पर किसानों की जमीन से जुड़ा एक विवाद पनपा था।

और अब योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी दिव्य फार्मेसी को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक बड़ा झटका दे दिया है। हाई कोर्ट की एकलपीठ के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ और जस्टिस यूसी ध्यानी की खंडपीठ ने पतंजली की दिव्य फार्मेसी को आदेश दिया है कि वो अपने 96 कर्मचारियों को साल 2005 के समझौते के अनुसार तय वेतन दे।

कंपनी को पिछले 13 साल के वेतन के बकाए का भुगतान करना होगा। याचिका में कहा गया था कि मई 2005 में दिव्य फार्मेसी और कर्मचारियों के बीच में वेतन को लेकर एक समझौता हुआ था।

इसमें ये तय हुआ था कि अप्रैल 2005 से समझौते के मुताबिक तनख्वाह दी जाएगी लेकिन याचिका में कहा गया है कि दिव्य फार्मेसी ने इस समझौते का पालन नहीं किया है। इसके बाद समझौते का पालन नहीं होने से कंपनी के कर्मचारी साल 2013 में हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 2005 के समझौते को वैध करार दिया था।

फैसले के खिलाफ दिव्य फार्मेसी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर को पूरे मामले को साफ करने के निर्देश दिए थे।

असिस्टेंट कमिश्नर ने माना था कि 96 कर्मचारी वास्तव में 2005 के समझौते के आधार पर वेतन पाने के हकदार हैं और उन्हें ये वेतन दिया जाना चाहिए। लेबर कमिश्नर के इस आदेश के खिलाफ दिव्य फार्मेसी हाईकोर्ट पहुंची थी।

अब हाई कोर्ट की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद लेबर कमिश्नर के आदेश पर मुहर लगा दी है।

इसके बाद दिव्य फार्मेसी ने खंडपीठ में विशेष अपील के जरिये एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन पूरे मामले में खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर मुहर लगाते हुए दिव्य फार्मेसी की विशेष अपील को खारिज कर दिया है और अपना आदेश कर्मचारियों के पक्ष में सुना दिया है।

कैसे हुई थी दिव्य फार्मेसी की शुरुआत?

 

बाबा रामदेव ने साल 1997 में आयुर्वेद के एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर एक छोटी सी फार्मेसी कंपनी ‘दिव्य फार्मेसी’ शुरू की थी। इस कंपनी में 92 फीसदी शेयर आचार्य बालाकृष्णन के नाम पर ही है। जबकि बाकी के 2 फीसदी शेयर एक एनआरआई भारतीय जोड़े के पास है। दिलचस्प है कि कंपनी में बाबा रामदेव की कोई हिस्सेदारी नहीं है।