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इंटीग्रल के वीसी की नियुक्ति अवैध, हाईकोर्ट ने एसडब्लयू अख्तर को दिया हटाने का निर्देश

इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एसडब्लयू अख्तर को उनके पद से हटाने के निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मंगलवार को जारी किए हैं. जस्टिस श्रीनारायण शुक्ला और जस्टिस शिव कुमार सिंह-प्रथम ने एक महीने में नया वीसी नियुक्त करने के निर्देश भी सष्ट्म अधिकारीयों को दिये हैं.

हाई कोर्ट ने वीसी को पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें नई नियुक्ति या कंटीन्यूएशन दिए जाने और इस दौरान उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक हो जाने को आधार बनाया है. अख्तर की नियुक्ति 2005 में बतौर वीसी हुई थी. तब से वही वीसी का पद संभाल रहे हैं. याचिका जुनेद अहमद की ओर से दायर की गई थी. उनका कहना था कि एसडब्लयू अख्तर को वीसी बनाये रखना इंटीग्रल यूनिवर्सिटी एक्ट 2004 के सेक्शन 10, यूजीसी को वीसी के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता की अवहेलना है.ऐसे  में उन्हें उनके पद से हटाया जाना चाहिए. याची के अनुसार यूजीसी के नियम 7.3.0 के अनुसार वीसी को दस साल का यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर या समकक्ष पद प्रतिष्ठित रिसर्च या अकादमिक संस्थान में रहने का अनुभव होना चाहिए. वहीं नियम 7.4.0 के अनुसार कार्यकाल अधिकतम पांच वर्ष होना चाहिए. लेकिन मौजूदा वीसी के पास ये योग्यताएं नहीं हैं और वे पांच वर्ष से अधिक वीसी रह चुके हैं.

याचिका के अनुसार मार्च 2005 में यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउनसिल ने उन्हें वीसी बनाया था. यह आदेश यूनिवर्सिटी के चांसलर ने पास किया था, जो यूनिवर्सिटी का संचालन करने वाली सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं. 2008 में ताज़ा आदेश देकर उन्हें पांच साल के लिए नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद 2013 में पांच साल के लिए कार्यकाल और बढ़ा दिया गया. तब से वह पद पर बने हुए हैं. उनकी उम्र भी अधिक हो चुकी है.