बेंगलुरु: बड़ी-बड़ी हस्तियों को अलग-अलग अवार्ड और पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है और यह बड़ी हस्तियाँ उसे स्वीकार भी करती हैं लेकिन राहुल द्रविड ने इसपर अपना नजरिया पेश किया है. राहुल द्रविड को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जा रहा था लेकिन उन्होंने उसे लेने से मना कर दिया. राहुल द्रविड ने बेंगलुरु विश्वविद्यालय की मानद डॉक्टरेट की उपाधि लेने से मना कर दिया और कहा कि वह खुद खेल के छेत्र में रिसर्च करेंगे और यह डिग्री हासिल करेंगे.
राहुल द्रविड़ बेंगलुरु में ही पले बढ़े और यहीं अपनी शिक्षा पूरी की. यूनिवर्सिटी ने 27 जनवरी को अपने 52वें दीक्षांत समारोह में द्रविड़ को मानद डॉक्टरेट डिग्री देने की पेशकश की थी. विश्वविद्यालय के कुलपति बी थिमे गौड़ा ने एक बयान में कहा, ‘राहुल द्रविड़ ने मानद उपाधि के लिए उन्हें चुने जाने पर बेंगलुरु विश्वविद्यालय का शुक्रिया अदा करने के साथ यह संदेश दिया है कि वह मानद उपाधि लेने के बजाय खेल के क्षेत्र में अनुसंधान करने में किसी तरह का शिक्षण कार्य पूरा करके डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करेंगे.’
गौरतलब है कि द्रविड़ को 2014 में गुलबर्ग विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि के लिए 12 लोगों में चुना गया था. लेकिन उस दौरान भी 32वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था.
राहुल द्रविड़ ने 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी. फिलहाल वह इंडिया ‘ए’ और अंडर-19 टीम के कोच के रूप में युवा क्रिकेटरों की प्रतिभा को निखारने में जुटे हुए हैं. ‘क्रिकेट की दीवार’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ को लीजेंड माना जाता है. उनका देशी और विदेशी पिचों पर जबर्दस्त अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड रहा है. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में उस दौर की दिग्गज ऑस्ट्रेलिया टीम के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया.
इस समय भारतीय क्रिकेट में राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले के साथ मिलकर बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं. कुंबले और कप्तान कोहली की अगुआई वाली राष्ट्रीय टीम के लिए युवाओं को संवारने और मानसिक रूप से तैयार करने का काम बेहद संजीदगी के साथ द्रविड़ कर रहे हैं. हाल ही में हार्दिक पांड्या, करुण नायर और ऋषभ पंत जैसे युवाओं के प्रदर्शन ने द्रविड़ के काम को मजबूती से रेखांकित किया है.