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जानें कैसे पैदा होगी पानी के बूंदों से बिजली, इस अनोखे आविष्कार से

नई दिल्ली: ‘भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ की शुरुआत हो गयी है. ‘डीएसटी इंस्पायर’ नाम का प्रोग्राम भी चलाया गया है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा. इस प्रोग्राम के तहत शोध और नई पद्धति पर भी ज़ोर दिया जाएगा. यह विज्ञानं महोत्सव पांच दिन चला जिसमे एनपीएल के वैज्ञानिक डॉ आरके कोटनाला और उनकी सहयोगी डॉ.ज्योति शाह ने एक नए आविष्कार के बारे में बताया.

‘हाइड्रोइलेक्ट्रिक सेल्स’ के सहारे सामान्य कमरे के तापमान पर पानी से बिजली पैदा की जा सकती है. इस प्रणाली में नैनोपोरस मैग्नीशियम फेराइट से पानी को हाइड्रोनियम (एच30) और हाइड्रॉक्साइड(ओएच) में तोड़ा जाता है, फिर चांदी और जस्ता इलेक्ट्रोड से इसे सेल की तरह उपयोग कर बिजली उत्पन्न की जाती है. डॉ.कोटनाला ने कहा, जब हम 2 इंच व्यास के चार सेल्स को सीरीज में जोड़ते हैं, तब इससे 3.6 वोल्ट 80 मिली एम्पियर की बिजली पैदा होती है. इतनी बिजली से हम एलईडी जला सकते हैं.

विज्ञान महोत्सव में देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से आए 600 छात्रों ने अपनी परियोजनाओं की झांकी दिखाई. सभी छात्रों का चयन देश भर के अलग-अलग राज्यों और जिले से हुआ. इनमें से तीन छात्रों को राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. विजेताओं को अगले वर्ष राष्ट्रपति भवन में इन परियोजनाओं को प्रस्तुत करना होगा. 57 छात्रों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो.आशुतोष शर्मा ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
इस बार के विज्ञान महोत्सव का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के पूसा रोड स्थित परिसर में किया गया. इसमें विज्ञान आधारित कार्यशाला, मेगा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शो, अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, औद्योगिक-अकादमी सहयोग और विशिष्ट विज्ञान विलेज को सम्मिलित किया गया.

विज्ञान मेले में ‘अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव’ के दौरान कई फिल्मों का आयोजन किया गया. इस दौरान कई युवा फिल्मकारों को सम्मानित किया गया. कश्मीर के रहने वाले जलालुद्दीन बाबा को उनकी फिल्म ‘सेविंग द सेवायर’ के लिए पुरस्कृत किया गया. अगले विज्ञान महोत्सव का आयोजन दिल्ली से बाहर किया जाएगा.