हम आपको बता दें कि जैसे-जैसे मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे बीजेपी की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. हम आपको यह भी बता दें कि चाहे वह लोकसभा के उपचुनाव हों या फिर विधानसभा के उपचुनाव या फिर नगर निकाय और ग्राम पंचायतों के चुनाव क्यों न हों कांग्रेस लगातार बीजेपी पर भारी पड़ रही है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं. इस भरपाई के नुकसान के लिए उन्होंने यात्रा की तारीखें घोषित कर रखी हैं लेकिन इसका भी उल्टा असर होता दिख रहा है.
1. बड़ी संख्या में भाजपाई बनें कांग्रेसी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राज्य के सिवनी जिले में यात्रा प्रस्तावित है. यात्रा से ठीक पहले लखनादौन के 120 भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं ने सामूहिक तौर पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने के बाद सभी कार्यकर्ता जिला कांग्रेस कार्यालय पहुंचें और कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली.
इतनी बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं के इस्तीफे की खबर ने प्रदेश की सियासत में खलबली मचा कर रख दी. विशेष रुप से सत्ताधारी खेमे को इस खबर ने बेचैन कर दिया.
2. कमल नहीं कमलनाथ चाहिए
अपने दल के भीतर गुटबाजी और खींचतान से जूझ रही कांग्रेस में अचानक से उस समय जान आ गई जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तपे तपाए नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी. राहुल गांधी जानते थें कि कमलनाथ प्रारंभ से हीं प्रदेश में गुटनिरपेक्ष राजनीति करते रहे हैं. इस कारण वो सभी को साध सकते हैं.
राहुल गांधी की यह रणनीति कारगर रही. जहां सभी वरिष्ठ नेता फिलहाल एक मंच पर आ चुके हैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी गजब का उत्साह है. कांग्रेस समर्थक लगातार कमल नहीं कमलनाथ चाहिए के नारों के साथ चुनावी मोड में आ चुके हैं और जनता की अदालत में हैं.
3. आज फिर भाजपा ने देखा पराजय का मुंह
मध्य प्रदेश के 12 अलग अलग नगर निकायों में पार्षद पद के लिए हुए चुनाव की आज मतगणना हुई. इन 12 में से 09 सीटों पर कांग्रेस का पंजा लहराया जबकि भाजपा का कमल मुर्झा गया. सत्ताधारी पार्टी की हार और विपक्षी कांग्रेस की शानदार जीत से कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता जहां गदगद हैं तो वहीं भाजपा खेमे में निराशा का माहौल है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ये चुनाव परिणाम जनता का मूड बताने के लिए काफी हैं.
निष्कर्ष:
देश में न तो कांग्रेस के लिए चाहने वालों की कमी है और न कांग्रेस के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की. बस कमलनाथ जैसे सामर्थ्यवान नेताओं को कमान सौंपने की जरुरत है.