नई दिल्ली। अब आपको रेस्टोरेंट या होटल में सर्विस चार्ज देना या है या नहीं देना है आपके ऊपर है। 5 से 20 प्रतिशत तक का सर्विस चार्ज होटल और रेस्टोरेंट लेते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, खाने वाले को सर्विस चार्ज तभी देना होगा जब उसकी इच्छा होगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह साफ़ कर दिया है कि रेस्टोरेंट या होटल के बिल में सर्विस चार्ज ऑप्शनल है न कि ज़रूरी।
इस फैसले पर होटल एसोसिएशन ने कहा कि ग्राहक चाहें तो वे सर्विस चार्ज देने से मना कर सकते हैं। दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स और केंद्र सरकार ने मामले में होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सफाई भी मांगी थी। इस पर होटल संघ ने कहा कि अगर ग्राहक सर्विस से संतुष्ट नहीं है तो वो सर्विस चार्ज देने से इनकार कर सकता है। बता दें कि कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्ट्रॉन्ट्स को इस बारे में सचेत कर दें।
सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स में अंतर
सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स में अंतर होता है और ये छूट सर्विस टैक्स नहीं बल्कि सर्विस चार्ज पर दी गई है। होटल और रेस्तरां में ग्राहकों को 10 से 20 फीसदी तक यह चार्ज वसूला जाता है। वहीं ग्राहकों को सर्विस चार्ज के अलावा 12.5 फीसदी वैट और 6 फीसदी सर्विस टैक्स भी देना पड़ता है। लेकिन, अब आपके इच्छा के ऊपर निर्भर है कि आप सर्विस चार्ज दें या न दें। अगर होटल मालिक आपको सर्विस चार्ज के लिए मजबूर करता है तो आप कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर सकते हैं।