नई दिल्ली। हम आपको बता दें कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी की सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं। हम आपको यह भी बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार के तीन साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताया है।
सरकार की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर पार्टी कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसमें तीन साल में किए गए सरकार के कार्यों को जनता के समक्ष रख रही है। आम आदमी पार्टी की कोशिश जनता के बीच सरकार के कार्यों का बखान करने की है।
भले ही केजरीवाल सरकार जनता के बीच अपने कार्यों को प्रचारित-प्रसारित करने का कोई मौका नहीं गंवाना चाह रही, लेकिन इन तीन साल में कई ऐसी घटनाएं भी हुई जिससे आम आदमी पार्टी की मुश्किलें भी बढ़ीं। चाहे पार्टी में फूट की वजह हो या फिर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होना, ये कुछ ऐसी घटनाएं जिससे आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार दोनों की मुश्किलें बढ़ीं।
इतना ही नहीं 2020 में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले पार्टी को कई चुनौतियों का भी सामना करने की तैयारी करनी होगी। दूसरे शब्दों में कहें कि 2020 से पहले केजरीवाल सरकार को अपनी लोकप्रियता का टेस्ट भी देना होगा।
केजरीवाल सरकार के तीन साल पूरे
जिस तरह से चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की और राष्ट्रपति ने भी चुनाव आयोग की सिफारिश पर हस्ताक्षर करके इस पर मुहर लगा दी, ये केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका था। हालांकि इस मामले में आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की गई और मामला कोर्ट में है। इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को दिल्ली में उपचुनाव कार्यक्रम के ऐलान पर रोक लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है चुनाव आयोग उपचुनाव कार्यक्रम का ऐलान नहीं करे।
20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने से केजरीवाल सरकार को लगा बड़ा झटका
हाईकोर्ट के आदेश पर भले ही दिल्ली में उपचुनाव के कार्यक्रम का ऐलान अभी नहीं किया गया हो, लेकिन 2020 के पहले केजरीवाल सरकार को 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर खास रणनीति तैयार करनी होगी। इतना ही नहीं 2019 में होने वाले आम चुनाव को लेकर भी आम आदमी पार्टी को तैयारी मजबूत करना बेहद जरूरी होगा। एक तरह से कहें कि ये चुनाव आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए लिटमस टेस्ट से कम नहीं होगा।
2019 के आम चुनाव पर है AAP की नजर
केजरीवाल सरकार भी आने वाले इम्तिहानों से अनभिज्ञ नहीं है, शायद इसीलिए पार्टी ने अपना पूरा फोकस विकास पर केंद्रीत कर दिया है। केजरीवाल सरकार अपने किए गए कार्यों को जनता के बीच पेश कर रही है। साथ ही पार्टी की पूरी रणनीति 2015 के चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने की है। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सरकार का पूरा फोकस जनता से किए गए वादों को पूरा करने पर है। सरकार अब तक चार क्षेत्रों बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा में खुद को स्थापित करने में सक्षम रही है। अब हमारा ध्यान दूसरे क्षेत्रों में है।
विधायकों की सदस्यता जाने का मामला कोर्ट में है
फिलहाल 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2019 के आम चुनाव हैं। दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं जिसमें पिछली बार बीजेपी ने सभी सीटों पर बाजी मारी थी। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चौंकाते हुए शानदार जीत दर्ज की थी। पार्टी की पूरी रणनीति अब इन चुनावों में फिर से शानदार प्रदर्शन पर है। फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि AAP का जादू जनता पर कितना चलता है।