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मुसलमानों ने इस मामले में सबको पछाड़ा

अगर बात की जाए मुसलमानों के दान देने की तो एक सर्वे सामने आया है जिसे नैशनल सैम्पल सर्वे ने किया है। इस सर्वे में यह बात पता चली है कि हमारे देश हिन्दुस्तान में दान देने के मामले में ईसाई और मुसलमान सबसे आगे हैं। ईसाई और मुसलमानों ने दान देने के मामले में सबको पछाड़ रखा है और पहले नंबर पर हैं जबकि हिन्दू इस मामले में काफी पीछे हैं।

मुसलामानों muslim community is donating very much as compared to any other religion

ये सर्वे की बात से सामने आया है कि मुसलामानों ने खूब दान किया है वरना भारत में अभी तक इस पहलू को लेकर लोगों की धारणा कुछ और ही थी लेकिन देर से ही सही अब जब ये स्पष्ट हुआ है तो आपको इसका पूरा सच बताते हैं।

द हिन्दू अख़बार ने छापी खबर

द हिन्दू नाम के मशहूर अख़बार ने इस बारे में लिखते हुए कहा कि ईसाई समुदाय सबसे ज्यादा दान करता है और उसके बाद मुस्लिम समाज का दान देने के मामले में नंबर आता है जिसमे मुस्लिमों का एक परिवार औसतन 126 रूपए जकात और 54 रूपए अपने मौलाओं को देता ही देता है।

हिन्दू हैं इस मामले में सबसे पीछे

अब अगर 2014-15 के नेशनल सैंपल सर्वे को देखते हुए दान के मामले में हिन्दुओ की बात करें तो ये समाज दान देने के मामले में सबसे कम दान करता है। इसे और अच्छे से ऐसे समझते हैं कि हिन्दू समुदाय दान में 82 और 92 रूपए  अपने पुजारियों पर खर्च करता है।

ये हालत तब है जब कि भारत के अंदर हिन्दुओ इतनी तादात में हैं। और हमें भी आमतौर पर यही लगता था कि जब इतनी संख्या में हिन्दू है तो जाहिर सी बात है कि वो दान भी बहुत ज्यादा करते होंगे लेकिन असल में ऐसा है नहीं।

मुसलामानों

इस्लाम देता है दान की प्रेरणा

रिपोर्ट में इस बात को भी स्पष्ट कर दिया गया है कि मुस्लिमों के इतना दान देने के पीछे उनकी मजहबी प्रेरणा है यानी मुस्लिमों में जकात देने का रिवाज है। दरअसल मुस्लिमों की पाक किताब कुरआन में ये आदेश है कि हर मुस्लिम को अपनी आय का 2.5 प्रतिशत हिस्सा जकात में गरीबों की मदद के लिए देना ही होगा।

जो लोग कुरआन को पढ़ते नहीं और महज सुनी सुनाई बातों को लेकर अपनी धारणा बना लेते हैं उन्हें देखना चाहिए एक बार कुरआन पढके कि कुरआन कैसे मानवजाति की भलाई के लिए है और इसकी शिक्षाएं लोगों को शालीन और सामाजिक बनाती हैं न कि जैसे आज के परिवेश में इस्लाम को लेकर धारणा है वैसा। इसीलिए कहा जाता है कि जब तक आप किसी चीज के बारे में स्वयं से आश्वस्त न हो जाएँ तब तक उसके बारे में पक्की राय कायम न करो।

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