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इस मुस्लिम बादशाह ने भारत को “सोने की चिड़िया” बनाया


भारत जैसा की आप लोगों ने सुना हे होगा की एक सोने की चिड़िया था। लेकिन अब आज़ादी के बाद से या उससे कुछ सालों पहले से भारत सोने की चिड़िया नहीं रहा। बहुत लोगों का दावा है की भारत को  मुग़लों ने लूटा है। लेकिन सच तो यह है की अगर मुग़ल भारत न आये होते तो भारतीय भाषा और संस्कृति में कोई विकास न हुआ होता | मुस्लिम शासको का एक बड़ा योगदान रहा था जिसके कारण आज भारत एक सैयुक्त देश है, वरना ये छोटे छोटे रजवाडो में बटा हुआ था |


इन छोटे छोटे रजवाडो को जीतकर इसे एक किया गया | फूट करो और राज करो, अंग्रेजो की इस नीति ने ही हिन्दुओ और मुस्लिमो में दरार पैदा की और मुस्लिम के योगदान को सबके सामने आने नही दिया | आइये आपको बताते है कैसे ये भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था |

मुग़ल भारत तो आये लेकिन कुछ लूट के नहीं ले गए

ऐसा कहा जाता है कि मुस्लिम शासको ने भारत की धरोहर को काफी नुक्सान पहुचाया था। लेकिन प्रोफेसर हरबंस मुख्या का कहना है, “पूंजीवाद का मतलब होता है कि किसी की धरती और वहां के लोगो पर हुकूमत करना। जिसका आर्थिक लाभ होता है। लेकिन आपको याद दिला दे कि मुग़ल जब भारत आये तो उन्होंने भारत पर कब्ज़ा तो किया लेकिन भारत को गुलाम नहीं बनाया। वो यहीं भारत की संस्कृतीत में घुल मिल गए।”

प्रोफेसर हरबंस के मुताबिक बाबर ने हिन्दुतान पर कब्ज़ा किया, उसने जंग में इब्राहिम लोधी को पानीपत के मैदान में शिकस्त दी और मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी। इसके बाद मग़लों ने भारत में भारतियों से शादी की, ख़ास कर राजपूतों से और उनको अपने साम्राज्य में एहम पदों पर नियुक्त किया।

बाबर वो बादशाह  थे जिन्होंने हमारे बटे हुए हिंदुत्सान को मिलाया

बाबर मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक थे, जी हा वही मुग़ल जिन्हें आज लोग अकबर से जानते है, ताजमहल बनवाने वाले शाहजाह से जानते है और बहादुर शाह ज़फर जिनकी अगुवाई में स्वतन्त्रता संग्राम लडा गया |

इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं, ”बाबर का व्यक्तित्व संस्कृति, साहसिक उतार-चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी ख़ूबियों से भरा हुआ था।” कहते हैं कि अगर बाबर भारत न आता तो भारतीय संस्कृति के इंद्रधनुष के रंग फीके रहते। उनके अनुसार भाषा, संगीत, चित्रकला, वास्तुकला, कपड़े और भोजन के मामलों में मुग़ल योगदान को नकारा नहीं जा सकता |

बाबर की विशेषता यह थी कि उन्होंने यहीं का होकर रहने में अपनी भलाई समझी और इस प्रकार मृगल-साम्राज्य की स्थापना के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उसने अपने राज्य की स्थापना के बाद विभिन्न प्रदेशों को संगठित करने का कार्य किया।