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बाबरी मस्जिद के बाद अब सालों पुरानी इस मस्जिद पर भी चढ़ा दिया गया बुलडोजर

हम आपको बता दें कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। वहीं इस ऐसे संजीदा मामले को लेकर देश में हालात भी काफी नाजुक हो जाते हैं। देखा जाए तो ये बात भी साफ है कि जब कभी भी हिंदू मुसलमान समुदाय को लेकर कोई विवाद जन्म लेता है तो वह अपने आप में राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है। आखिर यह मामला है ही इतना संगीन।

गिरायी गयी एक और सालों पुरानी मस्जिद

यूपी के अयोध्या में गर्माए राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के इस मामले की तरह ही यूपी के मुजफ्फरनगर पर स्थित सालों पुरानी मस्जिद गिरा दी गई है। आपको बता दें कि इस मस्जिद पर जिला प्रशासन की ओर से बुलडोजर चलाया गया है।

पूरे मामले की जानकारी देते हुए बता दें कि नेशनल हाइवे-58 पर बनी यह 8 साल पुरानी मस्जिद को जिला प्रशासन ने आपसी सलाह व सहमित के आधार पर ही यहां से हटाया है। मस्जिद के यहां से हटने के साथ ही अब नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य में आ रही रुकावट भी दूर हो गई है।

जब गिरा दी गई यूपी के मुजफ्फरनगर बनी सालों पुरानी मस्जिद

थाना मंसूरपुर के इलाके में आने वाले गांव सिंघावली के पास ही रेलवे क्रॉसिंग पर बनाने वाले फ्लाईओवर का निर्माण कार्य धार्मिक जगह होने की वजह से रोक दिया गया था। जिसकी वजह से यहां केवल एक तरफ के पुल का काम पूरा हो पाया था। इस मौजूदा हालात में इस फ्लाईओवर में कई सड़क दुर्घटनाएं हो गई जिसमें कई लोगों की जानें भी गई।

इस तरह लिया गया मस्जिद को गिराने का फैसला

क्षेत्र के उप-जिलाधिकारी सदर कुमार धर्मेंद्र ने बताया कि “इस धार्मिक स्थल का ध्वस्तीकरण आपसी सहमति के आधार पर किया गया है। इस ट्रस्ट के संचालकों को बकायदा इस जमीन का मुआवजा भी दिया गया है।”

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान ने भी कहा कि “यह धार्मिक स्थल काफी वक्त से पुल के निर्माण में बाधा बना हुआ था।”

पुल पर लगातार हो रहे थे सड़क हादसे

यहां हो रहे लगातार सड़क हादसों के लेकर उन्होंने बताया कि, “यहां हुए हादसों में अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है।” संजीव बालियान ने आगे बताया, “हाइवे निर्माण में जो भी धार्मिक स्थल आता है, हाइवे के विकास के लिए उसे हटा देना ही ठीक है। चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद या फिर चर्च।”

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती के समय हुए

हादसे

संजीव बालियाल ने बताया कि “अब तक इस स्थान पर 85 लोगों की मौत चुकी है। जिसका तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती को हिसाब जरुर मागेंगे। जिनकी सरकार में स्कूल का निर्माण कार्य नहीं हो पाया था।”

आपको बता दें कि मस्जिद तोड़े जाने के दौरान यहां पर काफी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी। कहा जा रहा था कि मस्जिद तोड़ने के दौरान वहां माहौल काफी बिगड़ सकता है। लेकिन जिला प्रशासन ने शांतिपूर्ण तरीके से यह काम पूरा करवाया।