हम आपको बता दें कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा कोई भी सरकारी जानकारी हासिल करने का अधिकार हमें होता है। हम आपको बता दें कि इसकी कुछ सीमाए भी होती है। तो चलिए अब हम बात करते हैं नरेंद्र मोदी की।
एक आवेदक ने पीएम नरेंद्र मोदी के आधार कार्ड और मतदाता पहचान-पत्र का ब्यौरा मांगा। हालांकि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के फैसले को बरकरार रखा और यह जानकारी सार्वजानिक नहीं की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोनी एस एरामथ नाम के शख्स ने आरटीआई के माध्यम से पीएमओ से जानकारी मांगी थी कि क्या भारत के राष्ट्रपति ने श्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भारत के प्रधानमंत्री के पद की शपथ दिलाई थी। इसके साथी ही आवेदक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधार कार्ड और मतदाता पहचान-पत्र के ब्यौरे की भी मांग की थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार इसके जवाब में पीएमओ ने कहा कि संविधान के प्रावधानों के मुताबिक प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई गई। मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने कहा कि पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने बताया कि आरटीआई कानून, 2005 की धारा 8(1)(जे) के तहत उपलब्ध छूट के अनुसार आवेदक को प्रधानमंत्री के आधार कार्ड और मतदाता पहचान-पत्र के ब्यौरे की सूचना नहीं दी जा सकती। माथुर ने कहा कि आरटीआई अर्जी पर जवाब देने में प्रतिवादी की ओर से उठाए गए कदम संतोषजनक हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में आयोग के दखल की अब कोई जरूरत नहीं है।
रिपोर्ट्स के अनुसार सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा 8(1)(जे) के तहत ऐसी जानकारी नहीं दी जा सकती जिनका सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है या जिससे किसी व्यक्ति की निजता में अवांछित दखल होता हो। कानून की यह धारा कहती है कि संसद या किसी राज्य के विधानमंडल को जो सूचना देने से इनकार नहीं किया जा सकता, वह किसी व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।