हम सोशल मीडिया पर भले ही चीख-चीखकर कह लें कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. लेकिन हकीकत ये है कि भारत का विकास विदेशी कर्जे के बिना संभव ही नहीं है.
सरकार चाहे कोई भी रही हो, प्रधानमंत्री चाहे कोई भी रहा हो, उसे हर साल और हर हाल में विदेश और खास तौर से विश्व बैंक से कर्जा लेना ही पड़ता है. अभी सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है. इसमें लिखा गया है कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने विश्व बैंक से कर्जा लेकर अपनी जेबें भर लीं.
नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने विश्व बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है. लेकिन हमने जब इसकी पड़ताल की, तो पता चला कि ये सिर्फ एक अफवाह है. अगर भरोसा नहीं है तो गूगल खोलिए. अंग्रेजी में डालिए world bank loan to india.
पहला ही लिंक विश्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट का आएगा. इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि भारत और विश्व बैंक के बीच इसी साल 2 फरवरी 2018 को एक करार हुआ है.
इसके तहत विश्व बैंक ने भारत को वाराणसी से हल्दिया के बीच 1360 किमी का जलमार्ग बनाने के लिए 375 मिलियन डॉलर (करीब 251 अरब रुपये) का कर्ज दिया है. इस करार पर भारत की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी समीर कुमार खरे, इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन प्रवीर पांडेय और भारत में विश्व बैंक के डायरेक्टर जुनैद अहमद ने सिग्नेचर किए हैं. इसके अलावा भी मोदी सरकार ने विश्व बैंक से लोन लिया है.
- 23 जनवरी 2018 को उत्तराखंड में पानी की सप्लाई के लिए विश्व बैंक ने भारत सरकार को 120 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
- 31 जनवरी 2018 को विश्व बैंक की ओर से तमिलनाडु के गांवों की हालत सुधारने के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया है.
- 24 अप्रैल 2018 को मध्यप्रदेश के गांवों की सड़कों की हालत दुरुस्त करने के लिए 210 मिलियन डॉलर (करीब 14 अरब रुपये) का कर्ज विश्व बैंक ने भारत को दिया है.
- 8 मई को भारत में चल रहे राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के लिए विश्व बैंक ने 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
- 29 मई को विश्व बैंक ने राजस्थान के लिए 21.7 मिलियन डॉलर ((1.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
- इसके अलावा अप्रैल 2018 में ही भारत सरकार ने विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर ((8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज दवाइयों को बनाने और उनकी गुणवत्ता को सुधारने के लिए लिया है.
अगर पिछले साल की बात करें
- भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश में टूरिजम को विकसित करने के लिए 40 मिलियन डॉलर ((2 अरब 67 करोड़ रुपये) का कर्ज विश्व बैंक से लिया है.
- 21 नवंबर 2017 को भारत ने विश्व बैंक से सोलर पार्क प्रोजेक्ट के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया है.
- 31 अक्टूबर 2017 को विश्व बैंक ने असम में ग्रामीण परिवहन के लिए 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
- 30 जून 2017 को विश्व बैंक ने नेशनल बायोफार्मा मिशन के लिए भारत सरकार को 125 मिलियन डॉलर (8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज दिया है.
ये तो बस दो साल के आंकड़े हैं और चुनिंदा हैं. इनके अलावा और भी बहुत से कर्जे हैं, जिनका अगर जिक्र करने लगा जाए, तो पढ़ते-पढ़ते आप थक जाएंगे, लिखते-लिखते हम थक जाएंगे, लेकिन लोन खत्म नहीं होगा.
और ऐसा कोई पहली बार नहीं है कि भारत को विश्व बैंक से लोन लेना पड़ रहा है. इसे देश का दुर्भाग्य कहिए या फिर कुछ और कि सरकार कोई भी रही हो, उसे लोन लेना ही पड़ा है. विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 1945 से 21 जुलाई 2015 के बीच भारत पर कुल 101 बिलियन डॉलर (676 अरब रुपये) का कर्ज सिर्फ और सिर्फ विश्व बैंक का था.
इसके अलावा International Bank for Reconstruction and Development नाम की एक संस्था है, जो विश्व बैंक का ही हिस्सा है. इसने भारत को कुल 52.7 मिलियन डॉलर (3.5 अरब रुपये) का कर्ज दे रखा है. International Development Association एक और विश्व बैंक की संस्था है, जिसने भारत को पिछले 70 साल में 49.4 बिलियन डॉलर (330 अरब रुपये ) का कर्ज दिया है.
तो मितरों, बात ये है कि कोई भी सरकार देश का विकास करती है, तो उसके लिए उसे पैसा चाहिए होता है. वो मनमोहन सिंह रहे हों या फिर नरेंद्र मोदी, वो अटल बिहारी वाजपेयी रहे हों या फिर एचडी देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, नरसिम्हा राव या फिर कोई भी प्रधानमंत्री हर सरकार ने विश्व बैंक से कर्जा लिया ही है.
और रही बात जेब भरने की, तो ये एक राजनैतिक जुमला है. अगर इसमें जरा भी सच्चाई होती तो अभी की ‘ईमानदार’ केंद्र सरकार पैसे का हिसाब-किताब करके अपनी जेबें भरने वाले भ्रष्टाचारियों को जेल भेज चुकी होती. रही बात इस सरकार की, तो पैसे हमने आपको बता दिए हैं कि किस-किस काम के लिए मिले हैं. काम कितना हुआ है, आप तय करिए.
बाकि बताने के लिए गंगा की ये एक गंगा की तस्वीर काफी है, जिसके लिए विश्व बैंक इस सरकार को भी और पिछली सरकारों को भी हजारों करोड़ रुपये का लोन दे चुका है.