वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन का कहना है कि 2014 में बीजेपी अपनी पीक पर थी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश-जैसे कई राज्यों में बीजेपी ने या तो सारी सीटें जीतीं या कुछ ही सीटें उसके हाथ से निकलीं।
इस बार पहले जैसी स्थिति नहीं है। बीजेपी को मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा में सीटें लूज करनी ही हैं।
मोहन कहते हैं, उत्तर प्रदेश में इस बार सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोकदल मिलकर लड़ रहे हैं, इसका भी बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बीजेपी यूपी में इस बार कम-से-कम 30 सीटें कम ला रही है।
कहा जा रहा है कि बीजेपी इस कमी को बंगाल और ओडिशा से पूरा कर सकती है। लेकिन अरविंद मोहन का मानना है कि ममता बनर्जी और बीजू पटनायक- दोनों अपने-अपने यहां मजबूत हैं।
वहां से बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा। साथ ही वह यह भी कहते हैं, महाराष्ट्र में इस बार एनसीपी और कांग्रेस मजबूती से लड़ रहे हैं। शिव सेना की सीटें नहीं बढ़ने जा रही है।
उधर, पंजाब में अकालियों की सीटें भी नहीं बढ़ेंगी। वह यह भी कहते हैं कि बीजेपी शासित राज्यों में मतदाता काफी हताश है, वह बीजेपी के साथ नहीं दिखाई पड़ रहा।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का स्पष्ट मानना है कि इस बार लोकसभा त्रिशंकु होगी। बीजेपी को लगभग 160 और कांग्रेस को 150 सीटें मिल सकती हैं।
आशुतोष यह भी बताते हैं कि बीजेपी पिछली बार की तुलना में महाराष्ट्र से 10-15 सीटें, छत्तीसगढ़ से 8 सीटें, मध्यप्रदेश से 7-8 सीटें, राजस्थान से 5 सीटें, गुजरात से 3-4 सीटें, दिल्ली से 3 सीटें कम ला रही है।
बिहार से पांच सीटें वह पहले ही खो चुकी है, इसके अलावा दो-तीन सीटों का उसे और नुकसान होगा। सबसे महत्वपूर्ण है कि यूपी से बीजेपी कम-से-कम 30 से 40 सीटें लूज कर रही है।
आशुतोष कहते हैं कि बंगाल और ओडिशा में मुस्लिम मतदाता कम हैं, इसलिए वहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आशंकाएं भी नहीं हैं। इसलिए बीजेपी को इन दोनों राज्यों से कोई फायदा नहीं होने जा रहा है।
अन्य राज्यों में केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु से भी बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा। इसी आधार पर वह यह संभावना जताते हैं कि इस बार लोकसभा त्रिशंकु हो सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश आंकड़ों के गणित में नहीं पड़ते। वह नहीं बताते कि किसे कितनी सीटें मिलेंगी या मिल सकती हैं।
लेकिन सजग और वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते वह कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी की 2014 वाली स्थिति किसी भी तर्क से दिखाई नहीं पड़ रही है। उस समय केंद्र में दस साल पुरानी सरकार थी और लोगों में उसके प्रति रोष था।
लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब जो भी विरोध है, वह बीजेपी के ही खिलाफ है।
उर्मिलेश यह भी कहते हैं, 2014 में बीजेपी पीक पर थी। कई राज्यों में उसने सारी सीटें जीती थीं। ये सीटें अब उसे नहीं मिलने जा रही, यानी इन सीटों में कटौती होगी।
बीजेपी की सीटें कम होंगी लेकिन कितनी कम होंगी, यह नहीं कहा जा सकता। वैसे, वह यह भी कहते हैं कि बीजेपी ने इस बार अच्छे गठजोड़ किए हैं।
सीएसडीएस के निदेशक प्रो. संजय कुमार का भी मानना है कि तमाम राजनीतिक संकेत बता रहे हैं कि बीजेपी का ग्राफ नीचे आएगा लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि यह कितना नीचे जाएगा। प्रो. संजय कहते हैं कि जब मतदान का प्रतिशत कम होता है तो इससे सत्तापक्ष को फायदा होता है।
लेकिन इस बार स्थितियां उलटी हैं। मतदान का प्रतिशत या तो कम हुआ है या बराबर रहा या फिर एक-डेढ़ प्रतिशत बढ़ा है। यह स्थिति बीजेपी के लिए खतरे का संकेत है।
लेकिन आंकड़ों में प्रो. संजय कुमार नहीं जाना चाहते। वह इस पर भी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते कि इस बार लोकसभा त्रिशंकु होगी। वह, बस, इतना कहते हैं कियह स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि बीजेपी 2014 वाली स्थिति में नहीं होगी।