हम आपको बता दें कि राफेल घोटाले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वकालत करना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शरद पवार के लिए भारी पड़ गया है.
एनसीपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले सांसद तारिक अनवर ने पार्टी और संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. तारिक बिहार की कटिहार लोकसभा सीट से मोदी लहर में भी निर्वाचित होने वाले एनसीपी के सांसद हैं.
1. क्या कहा था पवार ने
एनसीपी प्रमुख एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने राफेल घोटाले पर एक तरह से पीएम मोदी का बचाव करते हुए कहा था कि पीएम मोदी की नियत पर शक नहीं किया जा सकता है.
हालांकि बाद में एनसीपी की ओर से यह बयान आया कि हमने किसी भी तरह से मोदी का बचाव नहीं किया है, हमने राफेल घोटाले पर संयुक्त संसदीय समिति बनाने एवं जांच की मांग की है.
2. तारिक अनवर का बयान
तारिक अनवर ने राफेल घोटाले में सीधे सीधे पीएम मोदी को लपेटते हुए कहा कि वो पूरी तरह से इस घोटाले में संलिप्त हैं और अभी तक उन्होंने न तो कोई संतोषजनक जवाब दिया है और नहीं खुद को पाक साफ साबित कर पाए हैं.
फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति की ओर से आए बयान से मोदी की मिलीभगत की बात उजागर होती है.
3. अभी नहीं लिया कोई फैसला
यह पूछे जाने पर कि आगे आप किसी पार्टी में जाएंगें, इस पर तारिक ने कहा कि अभी वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंचें हैं. किस दल में जाना है, इस पर कोई भी निर्णय अपने समर्थकों एवं सलाहकारों से पूछ कर हीं लेंगें.
कार्यकर्ताओं से राय मशविरे के बाद हीं आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
कयास लगाए जा रहे हैं कि तारिक अनवर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो बिहार में कांग्रेस के लिए यह किसी सुखद खबर से कम नहीं होगा. यूं भी बिहार में कांग्रेस कद्दावर नेताओं का सूखा झेल रही है.
4. तारिक अनवर प्रोफाइल
तारिक अनवर की राजनीति कांग्रेस से शुरु हुई थी. 1980 में वह कटिहार से पहली बार संसद सदस्य निर्वाचित हुए थें. वह यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर उन्होंने शरद पवार के साथ कांग्रेस छोड़ दिया था. इसके बाद वो एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव और दो बार महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य भी रहें.
निष्कर्ष:
तारिक अनवर, शरद पवार के संघर्षों के सारथी रहे हैं. तारिक का शरद का साथ छोड़ना, शरद के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है.