नई दिल्ली: केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए आज एक नई हज नीति पेश कर दी है. इस नीति के तहत सब्सिडी की व्यवस्था खत्म करने और 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है. इसके साथ ही हज नीति 2018-22 में हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से भेजने के विकल्प पर काम करने की बात की गई है.
राजनैतिक सूत्रों के मुताबिक नई हज नीति को 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक तैयार किया गया है. इसे बनाने के लिए गठित कमेटी ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस कमेटी के संयोजक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्लाह थे.
पूर्व जस्टिस एस एस पार्कर, भारतीय हज समिति के पूर्व अध्यक्ष कैसर शमीम और इस्लामी जानकार कमाल फारुकी सदस्य थे और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में हज प्रभारी संयुक्त सचिव जे. आलम समिति के सदस्य सचिव थे. जिसके मुताबिक, हजयात्रियों के प्रस्थान के स्थानों की संख्या को 21 से घटाकर नौ किया जाएगा और 10 साल की अवधि में सब्सिडी खत्म की जाए.
दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु और कोच्चि से लोग हज के लिए प्रस्थान कर सकेंगे. इन शहरों में उपयुक्त हज भवनों के निर्माण और दूरदराज के इलाकों और इन प्रस्थान स्थलों के बीच संपर्क बेहतर करने का प्रस्ताव भी दिया गया है.