जैसा कि आप सब जानते हैं कि 16 मई, 2014 पूरे भारत देश में एक ही नाम छाया हुआ था ‘मोदी मोदी’.
मोदी लहर में चाणक्य के रूप में उभरे अमित शाह
इसी नाम का सहारा लेते हुए उन दिनों हर जगह यही नारा सुनाई दे रहा था, “हर-हर मोदी, घर-घर मोदी”, देश का चप्पा-चप्पा भगवा रंग में रंगता चला गया था. इसी के चलते भाजपा के अमित शाह देश के नए चाणक्य के रूप में उभरे थे.
2014 के बाद से ही बीजेपी बहुमत न होने के बाद भी बना रही है सरकार
इसी लहर के चलते देश के तमाम राज्यों में एक-एक कर बीजेपी सरकार बनने लगी. इसका परिणाम ये हुआ कि जिन राज्यों में बीजेपी सरकार सीधे नहीं बना पाई वहां, अपनी एडी चोटी का दम दिखाते हुए कुछ और करके भाजपा ने सरकार बना ली.
अभी तक हर उपचुनाव हारी है बीजेपी
लेकिन एक हकीकत ये भी सामने आई कि इन सबके बीच बीजेपी राज्यों-दर-राज्यों उपचुनाव हारती गई. हाल ही में हुए बिहार और यूपी की सीटें मिला लें तो बीजेपी ने लगातार लगभग सात उपचुनाव हारे हैं.
दो और उपचुनाव हारने पर बीजेपी खो देगी बहुमत
ऐसे में अब राजनितिक हालत ये हो चली है कि अगर चाणक्य अमित शाह एंड पार्टी अगले दो उपचुनाव ओर हार जाती है तो बीजेपी ठीक बहुमत पर आ जाएगी. हालांकि इससे सरकार की स्थिति पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इससे विपक्ष को बीजेपी की औकाद दिखाने का मौका जरुर मिल जाएगा.
बीजेपी 2019 से पहले आ सकती है बहुमत के नीचे
राजनितिक विशेषज्ञों की माने तो अगर आने वाले चुनावों में पार्टी की कोई और लोकसभा सीट किसी भी कारणवश खाली हुई तो सरकार के तकनीकी रुप से बहुमत के नीचे आने की संभावना बढ़ जायेगी.
चलिए गणित पर नज़र डाले
आकड़ों के अनुसार बीजेपी ने 2014 में 282 सीटें जीतीं. इनमें अलग-अलग कारणों से कई बार उपचुनाव हुए. जैसे विनोद खन्ना के निधन से खाली हुई गुरदासपुर सीट, योगी और केशव प्रसाद मौर्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनने से खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर सीट की तरह ही चित्रकूट, अजमेर, अलवर, में हुए उपचुनावों में बीजेपी को अपनी कई सीटों से हाथ धोना पड़ा.
2 सीटें अभी भी खाली पड़ी है
जिससे साफ़ है कि अबतक बीजेपी 6 सीटों का घाटा उठाकर 276 पर आ गई है. इसके अलावा दो और अन्य सीटें बीजेपी के सांसदों के निधन से खाली हैं. जिसमें यूपी का कैराना, हुकुम सिंह और महाराष्ट्र का पालघर चिंतामन वानगा के निधन से खाली है.
खाली होने वाली सीटों पर बीजेपी को नहीं नसीब हुई जीत
बता दें कि ये दोनों ही वो सीटें है जहां बीजेपी के सांसद थे. लेकिन जो सीटें किसी और पार्टी के सांसद के निधन से खाली हुई थीं वहां भी पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई है. ऐसी गंभीर स्थिति में अगर बीजेपी इन दोनों ही जगहों पर भी चुनाव हार जाती है तो बीजेपी सरकार की महज 274 सीटें हो जाएंगी.
और अगर इसमें से भी एक स्पीकर की सीट को हटा दें. तो ये आंकड़ा 273 हो जाता है. जो तकनीकी रूप से अगर ध्यान से देखें तो बहुमत से महज एक सीट ही ज्यादा है.
राजस्थान और मध्यप्रदेश के चुनावों के बाद भी बदल सकती है स्तिथि
ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि अगर राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी को चुनाव परिणामों के बाद अपनी कोई भी लोकसभा सीट खाली करनी पड़ी जैसे अभी गोरखपुर, फूलपुर की सीटों के साथ हुआ तो गिनती बहुमत से नीचे जा सकती है.
निष्कर्ष
उल्लेखनीय है कि भारत में राजनीति छवि बनाने का खेल है. लोग असल परिस्थिति से थोड़ा हटकर संवेदनाओं के चलते वोट देते हैं.
ऐसे में मोदी सरकार का 2019 में क्या होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन उससे पहले ये आकड़ें देख बीजेपी और चाणक्य शाह की नींद जरुर उड़ सकती है.