नई दिल्ली। अब्दुल बासित ने मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है।उस रिपोर्ट में यह कहा गया था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सेना पर लगाम लगाने की बात कही है| इस रिपोर्ट को पाकिस्तान से पहले ही ख़ारिज किया जा चुका है। उन्होंने ने यह भी कहा कि भारत-पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के पालिसी में पाकिस्तान एक अहेम भूमिका निभाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सेना सभी ज़रूरी इनपुट सरकार को देती है।
इस इंटरव्यू में पाक राजदूत ने यह भी कहा कि दोनोंं देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई वार्ता के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जनता द्वारा चुनी गई सरकार के मुखिया हैं। इस नाते फैसला लेने का अधिकार उनके पास है। लेकिन ऐसा नहीं होता है कि वह भारत के संबंध में कोई नीति बनाने या फैसला लेने से पहलेे सेना से विचार विमर्श नहीं करेंगे। ऐसा कहीं भी नहीं होता है। न तो भारत में और न ही अमेरिका में ही ऐसा कभी होता है। अमेरिका भी पेंटागन से विचार कर ही कोई नीति बनाता या फैसला लेता है। उनका कहना था कि पीएम नवाज ने देश में मौजूद आतंकियों पर नकेल कसने की बात की है।
पीओके में भारतीय कमांडो द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक से बार-बार इंकार करने के सवाल पर बासित का कहना था कि यदि भारत क्रॉस बॉर्डर फायरिंग को ही सर्जिकल स्ट्राइक कहता है तो ठीक है, हम उसको नहीं रोंकेंगे। लेकिन यह साफ कर दें कि इस तरह का कुछ नहीं हुआ है। उनका कहना था कि यदि ऐसा कुछ भी होता तो पाकिस्तानी सेना भी उसका पूरा जवाब देती, इसके लिए हमें किसी भी तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन यहां पर इस तरह की बातें करना इसलिए गैरवाजिब है क्योंकिे दोनों ही देशों के बीच मौजूदा समय में संबंध बेहद निचले दर्जे पर पहुंच गए हैं। लिहाजा इस तरह का खतरा नहीं लेना ही समझदारी होगी।
बासित ने कहा कि यहां यह भी जरूरी है कि झूठी उम्मीदें पाल कर न रखी जाएं। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को केवल क्रॉस बॉर्डर फायरिंग बताया और कहा कि इसमेंं पाक सेना के दो जवान मारे गए थे। इस दौरान उन्होंने उड़ी हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कराने की भी बात कही। उनका कहना था कि भारत पाकिस्तान पर इस हमले को लेकर झूठा आरोप लगा रहा है।
दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू करने को लेकर पाक राजदूत ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन पाक विदेश मंत्री के बीच वर्ष 2005 में इस्लामाबाद में एक समझौता हुआ था। यह करार दोनों देशों के बीच वार्ता के मुद्दों को लेकर ही किया गया था। लेकिन इस पर आगे नहीं बढ़ा गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस करार के अंतर्गत आगे बढ़ने को पूरी तरह से तैयार है।