आप सभी लोग पंखुड़ी पाठक के बारे में तो जानते ही होंगे. हम आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने समाजवादी पार्टी से अपना स्तीफा दे दिया है.
पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से जारी नए मीडिया पैनलिस्टों की सूचि से नाम गायब होने पर पंखुड़ी ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ दिया था.
1. पंखुड़ी का संक्षिप्त परिचय
पंखुड़ी पाठक का जन्म 1992 में हुआ था. बेहद कम उम्र में हीं राजनीति का सफर शुरु करने वाली पंखुड़ी एक गैर राजनीतिक परिवार से आती हैं. उनके पिता जेसी पाठक और मां आरती पाठक दिल्ली में डॉक्टर हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. पंखुड़ी दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ छात्रा हैं. छात्र जीवन के दौरान हीं उन्हें राजनीति का चस्का लगा और वो समाजवादी पार्टी की छात्र इकाई से जुड़ गई.
2. जीत चुकी हैं चुनाव
पंखुड़ी की नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एनएसयूआई और एबीवीपी के वर्चस्व वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से उन्होंने महज 18 साल की उम्र में संयुक्त सचिव का चुनाव जीत लिया था. पंखुड़ी ने डीयू में समाजवादी पार्टी की छात्र सभा को मजबूती प्रदान की और हर चुनाव में उम्मीदवार उतारने में बड़ी भूमिका निभाती रहीं.
3. अखिलेश डिंपल से नजदीकी रिश्ता
छात्र राजनीति के रास्ते पर चलते हुए पंखुड़ी ने समाजवादी पार्टी के मुख्य संगठन में भी अपने लिए जगह बनाई और राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पद पर विराजमान हुई. उनका अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से भी बेहद नजदीकी रिश्ता बन गया था. पार्टी छोड़ते वक्त पंखुड़ी ने कहा था कि मुझे इस बात का बेहद दुख है कि अखिलेश को मैंने न सिर्फ अपना नेता माना बल्कि उससे भी आगे बढ़कर अपना बड़ा भाई समझा.
4. शिक्षा करेंगी पूरी
पार्टी छोड़ते वक्त पंखुड़ी ने ऐलान किया था कि फिलहाल वो किसी भी दूसरे दल में शामिल नहीं होगी बल्कि अपनी छूटी हुई शिक्षा को पूरा करने में अपना ध्यान लगाएंगी लेकिन राजनीति ऐसी चीज है कि जिसे चस्का लग जाए, उससे कभी छूटता नहीं. ये भी कह सकते हैं कि राजनीति का चस्का बहुत आसानी से नहीं छूटता.
5. कांग्रेस की ओर बढ़ रही है नजदीकी
पंखुड़ी पाठक का वेरीफाइड ट्वीटर अकाउंट खंगालने के बाद आप इस बात का अंदाजा आराम से लगा सकते हैं कि पंखुड़ी का रुझान किस दल की ओर है. पंखुड़ी ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ने के बाद लगातार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट्स को रिट्वीट किया है और ऐसा वो लगातार कर रहीं है. इससे यह अंदाज लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में पंखुड़ी कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं.
निष्कर्ष:
पंखुड़ी की राजनीतिक विचारधारा धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है. इसके लिए कांग्रेस से बेहतर विकल्प उनके लिए कोई दूसरा नहीं हो सकता.