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जब इस अफसर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि आखिर विदेश से कितना कालाधन आया तो मिला बेहद चौंका देने वाला जवाब


आपके मन में अकसर यह सवाल आता होगा कि विदेश से अब तक कितना कालाधन आया? आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए चर्चित आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी ने जब पीएमओ से यह सवाल पूछा तो बताने से इनकार कर दिया गया. हम आपको यह भी बता दें कि आरटीआई पर जवाब देने से बचने के लिए पीएमओ ने कानून की धारा 8 (1) (एच) के तहत दी गई छूट को ढाल बनाया.

पीएमओ ने जानकारी देने से इनकार करते हुए आरटीआई के उस प्रावधान का हवाला दिया जिसमें सूचना का खुलासा करने से जांच और दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने में बाधा उत्पन्न हो सकती है. यह हाल तब रहा, जबकि केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 16 अक्टूबर को एक आदेश में पीएमओ को 15 दिनों के भीतर काले धन का ब्यौरा मुहैया कराने के लिए कहा गया था.

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए चर्चित भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के आरटीआई आवेदन के जवाब में पीएमओ ने कहा, ‘‘इस समय सरकार द्वारा दोषियों के खिलाफ किए गए सभी कार्यों / प्रयासों का खुलासा जांच या धर-पकड़ या मुकदमे की पूरी प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है, इसलिये इसमें आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (एच) के तहत दी गई छूट का प्रावधान लागू होता है.”

पीएमओ ने कहा कि ऐसी जांच विभिन्न सरकारी खुफिया और सुरक्षा संगठनों के दायरे में आती है जिन्हें आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है. अधिकारी चतुर्वेदी ने एक जून 2014 के बाद से देश में विदेश से लाए गए काले धन के बारे में जानने के लिए एक आरटीआई आवेदन दायर किया था.

आरटीआई आवेदन की प्रारंभिक जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले साल अक्तूबर में कहा था कि मांगी गई जानकारी इस पारदर्शिता कानून की सूचना को परिभाषित करने वाली धारा 2 (एफ) के दायरे में नहीं आती है. इसके बाद चतुर्वेदी ने केन्द्रीय सूचना आयोग का रुख किया, जहां पिछले महीने पीएमओ से 15 दिनों के भीतर सूचना मुहैया कराने को कहा गया था.

ऐसे में इस समय भारत में और विदेश से लाए गए काले धन की मात्रा के बारे में कोई आधिकारिक अनुमान आकलन उपलब्ध नहीं है. अमेरिका स्थित थिंक टैंक ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) के एक अध्ययन में दिये गये एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2005-2014 के बीच भारत में 770 अरब अमेरिकी डॉलर का कालाधन पहुंचा है।

वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था ने बताया कि इसी समयावधि के दौरान देश से करीब 165 अरब अमेरिकी डॉलर की अवैध राशि बाहर भेजी गई। चतुर्वेदी के आरटीआई आवेदन में पूछे गये एक अन्य सवाल के जवाब में पीएमओ ने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों का ब्यौरा साझा करने से इनकार किया है और कहा कि ऐसी जानकारी प्रदान करना ‘‘व्यक्तिपरक और साथ ही काफी कठिन काम हो सकता है.”