किसी कवि ने खूब कहा था, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है. यही इशारा भारत की केंद्रीय सत्ता में बैठें नरेंद्र मोदी को देश के पांच बड़े प्रदेशों की जनता ने कर दिया है.
पिछले साढ़े चार सालों के नरेंद्र मोदी के कुशासन से जनता तंग आ चुकी है. जनभावना यही है कि अब चाहे जितनी जल्दी हो इस सरकार को शासन से अलविदा कर दो. भाजपा और पीएम मोदी के सामने कुछ सवाल मुंह बाए खड़ी है जिनका न तो जवाब है उन के पास और नहीं समाधान.
ग्रामीण भारत में जबर्दस्त गुस्सा
भारत के ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा नरेंद्र मोदी के लिए आगामी चुनाव में भारी पड़ने वाला है. चुनाव में इतना कम समय बचा है कि अब चाह कर भी किसान वर्ग के बीच राहत राशि या पैकेज नहीं पहुंचाया जा सकता है, उधर कांग्रेस ने तीन राज्यों में किसानों का कर्ज माफ कर बता दिया है कि उसकी आगे की नीति क्या रहने वाली है.
फसलों की बर्बादी और कम दाम मिलने वाली समस्याओं पर मोदी सरकार एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी है.
2019 में मोदी की हार तय
सरकार के लिए सबसे बुरी खबर बेरोजगारी के मोरचे से है. यहां पर नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है. 05 सालों में बेरोजगारी दर कई सालों के अधिकतम स्कोर पर पहुंच चुकी है.
उपर से पीएम मोदी ने जिस तरह से युवाओं को पकौड़े बेचने की स्कीम समझाई, उससे छात्र वर्ग उनसे काफी गुस्से में है. बेरोजगारी के सवालों का भी मोदी के पास कोई जवाब नहीं. मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना, स्टार्ट अप, स्टैंड अप सब फेल हो चुका है. अब ये योजनाएं सिर्फ विज्ञापनों तक सीमित है.
विरोधियों को आतंकित करना घातक
जिस तरह से केंद्र की सत्ता में आने के बाद विरोधी दलों को निशाना बनाया गया, उससे वे तमात गिले शिकवे भूल कर साथ आने को मजबूर हो गए. अब हालात ये है कि यूपी में सपा बसपा के गठबंधन करने से भाजपा 73 से 13 पर आती हुई दिख रही है. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश जहां कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं था, आज वहां कांग्रेस सीधी टक्कर में है. राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनने की सूरत में भाजपा सैकड़ा भी लगा दे तो बड़ी बात होगी.