आपको यह जानकर बेहद दुख होगा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी का अहंकार सातवें आसमान पर है. हम आपको बता दें कि कल तक महागठबंधन की कवायद पर पानी फेरते हुए मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस के बगैर ही एकतरफा गठबंधन की घोषणा कर दी.
मायावती और अखिलेश को लगता था कि कांग्रेस उनके पैरों पर गिरकर गठबंधन के लिए याचना करेगी लेकिन कांग्रेस ने अब ऐसा दांव चल दिया है कि भाजपा के साथ साथ सपा और बसपा को भी इस प्रदेश में मुंह की खानी पड़ेगी.
समाजवादी और बहुजन के साथ कांग्रेस करेगी गठबंधन
उत्तर प्रदेश की बड़ी ताकत के साथ उभर कर सामने आ रहे समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता शिवपाल सिंह यादव की पार्टी समाजवादी सेकुलर मोर्चा के साथ कांग्रेस ने गठबंधन का मन बना लिया है.
इसके साथ ही दलित समाज की पार्टी बहुजन मुक्ति पार्टी को भी कांग्रेस ने अपने साथ लाकर यूपी में तीसरा मोर्चा खड़ा करने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही मुस्लिम समाज के जाने माने नेता पूर्व सांसद अतीक अहमद, डीपी यादव को साथ लाकर दमखम से चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बनाम भाजपा की होगी लड़ाई
कांग्रेस इस चुनाव में आम जनता के बीच संदेश देना चाहती है कि लोकसभा चुनाव में बसपा, सपा जैसे छुटभैये दलों को वोट देने से क्या फायदा होगा! क्या ये दल कभी भी केंद्र में सरकार बना सकते हैं !
भाजपा को कांग्रेस हरा सकती है या बसपा, सपा, आप. इस सवाल को लेकर कांग्रेस यूपी की जनता के बीच जाएगी. सचमुच जनता सोचने को मजबूर हो जाएगी कि केंद्र में सरकार बदलने के लिए बसपा, सपा को वोट देने का क्या लाभ.
भाजपा के साथ सपा बसपा को मिलेगी कड़ी टक्कर
कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में 2009 का इतिहास दोहराना चाहती है. उस वक्त भी समाजवादी पार्टी ऐसे ही घमंड का प्रदर्शन कर रही थी, वो कांग्रेस के लिए 15 सीट से ज्यादा छोड़ने को तैयार नहीं हो रही थी, कांग्रेस ने खुद अपने बूते सभी सीटों पर चुनाव लड़ा और 23 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा हासिल किया.
इस बार कांग्रेस के साथ शिवपाल सिंह यादव जैसा कद्दावर नेता साथ होगा. यादव समाज के बुद्धिजीवी शिवपाल और कांग्रेस के साथ आएंगे.
दलित समाज को डर है कि मायावती कब सत्ता के लालच में भाजपा में मिल जाएंगी, कोई नहीं जानता. यही वजह है कि अब यूपी में त्रिकोणीय संघर्ष के लिए कांग्रेस खुद को तैयार कर रही है.