नई दिल्ली: हम आपको बता दें कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कमर कस लिया है। हम आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष संगठन में कई फेरबदल कर रहे हैं।
कुछ फेरबदल तो अभी हुए है वहीं कुछ फेरबदल समय के साथ होते रहेंगे। इसी बीच खबर है कि कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ‘कामराज प्लान’ के तहत काम कर रहे हैं।
जब दिल्ली में कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन शुरू हुआ था, तब सबकी नजरें पार्टी प्रेसिडेंट राहुल गांधी के समापन भाषण पर थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले और पार्टी के विजन को लेकर की जाने वाली अहम घोषणाओं की उम्मीद थी। उम्मीद के मुताबिक ही राहुल गांधी ने पार्टी में ‘बदलाव’ और बीजेपी-आरएसएस के ‘गठजोड़’ से निपटने की नीति को कार्यकर्ताओं के सामने रखा था।
शांता राम नाइक की राह चलेंगे सीनियर नेता?
राहुल गांधी के इस भाषण के बाद गोवा के प्रदेश अध्यक्ष शांता राम नाइक ने इस्तीफा दे दिया है। 71 साल के शांता राम नाइक ने कहा कि वो राहुल गांधी से काफी प्रभावित हैं इसलिए नए लोगों को मौका देने के लिए कुर्सी छोड़ रहे हैं। सवाल ये उठता है कि महाधिवेशन में स्टेज खाली रखने से पूरे देश में सीनियर नेता शांताराम नाईक वाला रास्ता अख्तियार करेंगे।
राहुल गांधी की नई टीम बनने तक इंतजार करेंगे। सवाल ये उठता है कि क्या पुराने नेताओं को दरकिनार करके राहुल गांधी कामराज प्लान को कांग्रेस के भीतर लागू करना चाहते हैं? इस मंशा को लेकर कांग्रेस में सुगबुगाहट है। या फिर बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल की तरह कांग्रेस में भी सीनियर नेताओ की कमेटी बनेगी। जानकार मानते है कि राहुल गांधी ‘कामराज प्लान’ के तहत काम कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने अपनी टीम में कोई भारी भरकम फेरबदल नहीं किया है
खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने अपनी टीम में कोई भारी भरकम फेरबदल नहीं किया है। जानकार बताते हैं कि राहुल गांधी को महाधिवेशन का इंतजार था।
उससे पहले वो सोनिया गांधी के बनाए निजाम को खत्म नहीं करना चाहते थे। इसलिए अब संगठन में धीरे-धीरे फेरबदल होगा। ये प्रक्रिया सतत चलती रहेगी। अचानक सबको बदलने का फैसला नहीं लिया जाएगा।
राहुल गांधी ने अपनी नई टीम बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। जिसमें माना जा रहा है कि युवा नेताओं की भरमार होगी। जिस तरह से कर्नाटक और झारखंड के प्रभारी युवा नेताओं को बनाया गया है। वैसे ही हर राज्य का प्रभारी बदलने की तैयारी हो रही है।
जानिए क्या था कामराज प्लान?
तमिलनाडु के कद्दावर नेता कुमारास्वामी कामराज राज्य के मुख्यमंत्री भी थे। 1963 में कामराज ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
कामराज का मानना था कि कांग्रेस चुनाव तो जीत रही है लेकिन जनता से दूर होती जा रही है। इसलिए सभी सीनियर नेताओं को पार्टी के लिए काम करना चाहिए इस प्लान की वजह से कई सीनियर नेताओं को सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था।
जिसमें 6 मुख्यमंत्री और 6 केंद्रीय मंत्री शामिल थे। जगजीवन राम, मोरारजी देसाई, बीजू पटनायक, एस के पाटिल और लाल बहादुर शास्त्री सरकार से अलग होकर संगठन का कामकाज करने लगे थे। इसके बाद कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। हालांकि इंदिरा गांधी से मतभेद की वजह अलग पार्टी का गठन किया लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई।
‘मेरा पहला काम उस दीवार को तोड़ना होगा और यह काम हम गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से करेंगे।’
पिछले चार सालों के दौरान कांग्रेस को न केवल संगठनात्मक कमजोरी बल्कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ अभियान की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के सामने मौजूद इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए संभावित बदलावों का पहली बार सार्वजनिक मंच से जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस देश के सभी लोगों की पार्टी है और हम इसे हर हाल में बदल कर रहेंगे।
संगठन में बदलाव की रुपरेखा को सामने रखते हुए राहुल ने कहा कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी बाधा आखिरी पंक्ति में बैठे युवा और मंच पर बैठे नेताओं के बीच की दीवार है और ‘मैं इसे हर हाल में गिराकर रहूंगा।’
उन्होंने कहा, ‘मैं हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच के संवादहीनता की स्थिति को खत्म कर रहूंगा।’ सम्मेलन की आखिरी पंक्ति में बैठे कार्यकर्ताओं की तरफ इशारा करते हुए राहुल ने कहा, ‘मेरा पहला काम उस दीवार को तोड़ना होगा और यह काम हम गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से करेंगे।’