मुंबई: फिल्म ‘रईस’ के निर्देशक राहुल ढोलकिया हैं. इस फिल्म में शाहरुख खान ने रईस आलम का रोल किया है. शाहरुख खान के इलावा नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी, माहिरा खान, अतुल कुलकर्णी, जिशान और नरेन्द्र झा ने भी फिल्म में अलग-अलग रोल निभाये हैं. फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि गुजरात के फतेहपुर के रईस का बचपन अपनी मां के साथ गरीबी में गुजर रहा है, गरीबी के कारण रईस बचपन में ही शराब के धंधे में घुस जाता है. इसके बाद शराब को लेकर होता है गुटों के बीच झगड़ा, राजनीतिक दलों के बीच में राजनीति, और चोर-पुलिस का खेल.
खामियों की बात करें तो ‘रईस’ की कहानी बेहद साधारण है जिसमें कोई अलग पहलू नजर नहीं आता. दूसरी बात यह रईस के बचपन के दृश्य आपके मन में उसके लिए हमदर्दी पैदा नहीं करते बल्कि फिल्म की लंबाई बढ़ाते हैं. महिरा के साथ शाहरुख के दृश्य भी फीके लगते हैं क्योंकि न तो ये कोई भावना को जन्म देते हैं और न ही इनका फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई योगदान है और महिरा का अभिनय भी मुझे हल्का ही लगा.
अब कुछ खूबियां. ‘रईस’ की पहली और सबसे बड़ी खूबी हैं शाहरुख खान जिनके व्यक्तित्व का करिश्मा इस फिल्म को दमदार बनता है. फिल्म के किसी भी दृश्य में शाहरुख ने अपने किरदार से हिलने की जरा सी भी गलती नहीं की है. अपनी चाल-ढाल,डायलॉग डिलिवरी और हाव-भाव से वह फिल्म की खामियों की तरफ आपका ज्यादा ध्यान जाने नहीं देते. शाहरुख के प्रशंसकों के लिए यह फिल्म एक ट्रीट साबित हो सकती है.
संगीत की बात करें तो ‘उड़ी उड़ी जाए’, ‘जालिमा’, ‘लैला मैं लैला’ जैसे गाने पहले ही हिट हो चुके हैं. एक और बात यह कि फिल्म 70 और 80 के दशक के सिनमा से प्रभावित है और इसका ट्रीटमेंट भी उसी तरह किया गया है क्योंकि यह कहानी 80 के दशक में घटती है. यह फिल्म आपको लार्जर दैन लाइफ सिनेमा और उनके नायकों की एक बार फिर याद दिलाएगी जहां बहुत सा मनोरंजन, एक दबंग हीरो और बेहतरीन गाने देखने को मिलते थे. ठीक उसी तरह शाहरुख खान की फिल्म में मनोरंजन है पर वास्तविकता की झलक के साथ यानी हर चीज यहां ओवर दी टॉप या बनावटी नजर नहीं आएगी. तो जाइए फिल्म देखिए, मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार्स.