नई दिल्ली: हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अभी उपचुनाव के हार से उबर नहीं पाई है कि केंद्र की मोदी सरकार ने उसे और मुश्किलों में डाल दिया है। हम आपको यह भी बता दें कि गोरखपुर और फूलपुर की संसदीय सीट भारतीय जनता पार्टी हार गई है।
गोरखपुर की सीट पर जहां खुद सीएम आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर थी तो वहीं फूलपुर की सीट पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की उम्मीदों के आसमान का दारोमदार था लेकिन जनता ने इस पर पानी फेर दिया। अब आदित्यनाथ सरकार के लिए जो नई मुश्किल आई है वो है केंद्र सरकार की ओर से। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से आज लोकसभा में जानकारी दी गई कि पिछले साल देश में सर्वाधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा।
नंबर एक पर यूपी है
लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य हंसराज गंगाराम अहिर ने कहा कि वर्ष 2017 में देश में 822 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जबकि 2016 में 703 ऐसी घटनाएं हुईं और 2015 में 751 घटनाएं हुईं। एक लिखित सवाल के जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि जिन राज्यों में सबसे ज्यादा ऐसे मामले हुए उनमें उत्तर प्रदेश (195), कर्नाटक (100), राजस्थान (91), बिहार (85), मध्य प्रदेश (60) शामिल हैं। इसमें नंबर एक पर यूपी है।
साल 2016 में 162 मामले दर्ज किए गए
साल 2016 में, उत्तर प्रदेश में 162 मामले दर्ज किए गए थे। उस समय भी यूपी नंबर 1 था। इसके बाद कर्नाटक (101), महाराष्ट्र (68), बिहार (65), राजस्थान (63) के साथ-साथ सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए। अहीर ने कहा कि घटनाओं में धार्मिक कारक, जमीन और संपत्ति के विवाद, लिंग संबंधी अपराध, सोशळ मीडिया से संबंधित मुद्दों और अन्य विविध कारण शामिल हैं।
822 सांप्रदायिक घटनाओं में 111 लोग मारे गए
अहीर ने जानकारी दी किविशेष रूप से, 2015 में, सांप्रदायिक संघर्ष की संख्या 155 थी और 2016 में और अखिलेश यादव की अगुआई वाली समाजवादी पार्टी सरकार के तहत ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 162 हो गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर ने संसद को बताया कि पिछले साल भारत में 822 सांप्रदायिक घटनाओं में 111 लोग मारे गए थे।