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सद्दाम हुसैन मरा नहीं बल्कि आज भी जिन्दा है, जानिये कैसे

सद्दाम हुसैन जो कि ईराक के पूर्व तानाशाह थे उनके बारे में तो तकरीबन सभी जानते होंगे. एक वक्त था जब इसी तानाशाह से तकरीबन सभी देश डरते थे.

आपको बता दें कि अब सद्दाम हुसैन की कब्र पूरी तरह से कंक्रीट में बदल चुकी है.

जैसा कि आप सब जानते हैं कि अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को 30 दिसंबर 2006 को फांसी पर लटका दिया था.

उस समय अमेरिका का राष्ट्रपति कोई और नहीं बल्कि जॉर्ज बुश थे.

जॉर्ज बुश ने खुद सद्दाम हुसैन को फांसी होने के बाद मिलिट्री हेलिकॉप्टर से सद्दाम हुसैन की डेड बॉडी बगदाद पहुंचाई थी.

आपको बता दें कि सद्दाम हुसैन को उन्हीं के गांव अल-अवजा में दफनाया गया था लेकिन अब एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है और वह यह कि जहां पर उनको दफनाया गया था वहां पर उनके शव के अवशेष भी मौजूद नहीं हैं.

वैसे तो उनको फांसी दिए हुए तकरीबन 12 साल पूरे हो गए हैं लेकिन हमारे मन में यह सवाल तो उठ ही रहा है कि इतने सालों के बाद अब उनका शव अचानक से कहाँ गायब हो गया.

एक विदेशी न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने अपने एक रिपोर्ट में जब यह सवाल उठाया था तब इस मामले ने काफी तूल पकड़ी थी.

एएफपी न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट में यह बात पूछी गई थी कि अचानक से कब्र से सद्दाम हुसैन का शव कहाँ गायब हो गया.

क्या उनका शव अल-अवजा में ही है या फिर उसे खोदकर निकाल लिया गया है और उनके शव को कहाँ ले जाया गया है?

शेख मनफ अली अल-निदा जो कि सद्दाम हुसैन के वंशज हैं उन्होंने एएफपी को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनकी कब्र को खोदा गया और उन्हें जला दिया गया है.

उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा होते हुए उन्होंने खुद नहीं देखा था.

जाफर अल-घरावी जो कि सिक्‍योरिटी फोर्सेज के मुखिया हैं उन्होंने शव ग़ायब होने की बात को अफ़वाह बताया और कहा कि,‘सद्दाम का शव अभी भी यहीं है.’

गुप्त सूत्रों से पता चला है कि सद्दाम हुसैन की निर्वासित बेटी हाला कुछ समय पहले एक प्राइवेट जेट से अवजाह आईं और अपने पिता के शव को अपने साथ जॉर्डन ले गईं.

यह भी किसी ने बताया कि हाला कभी ईराक नहीं लौटी. शव को किसी अनजान और सीक्रेट जगह पर ले जाया गया है. कोई नहीं जानता कि शव को कौन और कहां ले गया.

यही नहीं बल्कि बगदाद के रहने वाले अबु समीर का मानना है कि सद्दाम हुसैन आज भी जिंदा हैं. उन्होंने कहा,’सद्दाम हुसैन मरे नहीं बल्कि आज भी जिंदा हैं. जिसको अमेरिका ने फांसी दी थी वह सद्दाम हुसैन नहीं बल्कि उनका हमशक्ल था.’