जैसा कि आप सब जानते हैं कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस के अध्यक्ष का पद लंबे समय से खाली पड़ा था। हम आपको बता दें कि शनिवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है साथ ही पार्टी की पूर्व अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है।
जल्द ही एआईसीसी का चुनाव होगा जिसमें पार्टी का स्थाई अध्यक्ष चुना जाएगा। स्थाई अध्यक्ष चुने जाने तक सोनिया गांधी ही पार्टी की कमान संभालेंगीं।
बता दें सोनिया गांधी साल 1997 से लेकर 2017 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं। पार्टी अध्यक्ष बने रहने से राहुल गांधी के साफ मना करने के बाद सीडब्ल्यूसी ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। राहुल के नहीं मानने के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सीडब्लूसी की बैठक में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित हुए हैं। पहले प्रस्ताव में राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ की गई। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने भय और हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाई।
दूसरे प्रस्ताव में राहुल गांधी को बतौर पार्टी प्रमुख चुना लेकिन राहुल ने विनम्रता से यह आग्रह ठुकरा दिया। इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति ने पार्टी के नए पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने तक सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना।
राहुल पर तय हुई थी आम राय
इससे पहले, पार्टी नेताओं की परामर्श बैठकों में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने सीडब्ल्यूसी की सुबह की बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे। नये अध्यक्ष को लेकर सुबह हुई सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों में मंथन किया।
इन नामों पर जारी है विचार
गौरतलब है कि पार्टी के नये अध्यक्ष को लेकर मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट सहित कई वरिष्ठ एवं युवा नेताओं के नामों की चर्चा है। वैसे, अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के कई नेता प्रियंका के नाम की पैरवी कर चुके हैं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा।