तो चलिए अब हम बात करते हैं कांग्रेस पार्टी की. अगर हम बात करें कांग्रेस पार्टी की तो हम और आप आसानी से यह अनुमान लगा सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन पहले से काफी बेहतर रहा. लोगों का प्रेम कांग्रेस पार्टी की तरफ बढ़ता ही जा रहा है.
इसे पार्टी की सफलता ही समझिये कि गुजरात चुनाव के बाद से ही देश की जनता ने अपना रुख़ कांग्रेस की तरफ मोड़ लिया है.
सोनिया गांधी ने तैयार की अपनी रणनीति
जनता के इस बदलते रुख से जहाँ कांग्रेस में उत्साह देखने को मिल रहा हैं तो वहीं भाजपा इससे काफ़ी परेशान है. लेकिन पार्टी के इतने अच्छे प्रदर्शन का उचित लाभ उठाते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर सोनिया गांधी ने दिया ये बयान
राहुल गाँधी को जब सोनिया गांधी ने अध्यक्ष बनाया तो उस वक्त विपक्ष यही मान रही थी कि अब सोनिया गांधी कांग्रेस को लेकर चिंतामुक्त होकर छुट्टियों पर चली जायेंगी.
लेकिन हाल ही में उन्होंने सब का मुंह बंद करते हुए ये दिखा दिया कि राहुल गाँधी को अध्यक्ष पद की कमान सौपने के बाद भी सोनिया गांधी कांग्रेस के भविष्य और उसके नेत्रित्व को लेकर बेहद सचेत है.
और अपनी इसी संजीदा को देखते हुए उन्होंने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए हर किसी को हैरान कर दिया.
वंशवाद के ख़िलाफ़ बनाएंगी सोनिया गांधी अगला अध्यक्ष
दरअसल, बीते शुक्रवार उन्होंने बयान देते हुए कहा कि..
“भविष्य में नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का सदस्य पार्टी अध्यक्ष बन सकता है.”
खुद की जगह मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर पहले भी लिया था अहम फैसला
अगर याद हो तो साल 2004 में भी सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में खुद की जगह मनमोहन सिंह का चयन इसलिए किया था क्योंकि वह प्रधानमंत्री पद के लिए उनसे बेहतर उम्मीदवार थे.
और अब कांग्रेस के वरिष्ट नेता होने के नाते जब उन्होंने हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि भविष्य में नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का सदस्य कांग्रेस का अध्यक्ष बन सकता है, तो एक बार फिर उनपर उंगली उठाने वाले हर व्यक्ति के मुंह पर ताला लग गया.
पार्टी में वंशवाद नही रखती सोनिया गांधी
इसी समारोह में सोनिया गांधी ने ये भी कहा कि..
“कांग्रेस में एक परंपरा है और इस परंपरा के तहत नेताओं का चयन लोकतांत्रिक तरीके से होता है.”
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के हाथ में ही थी सत्ता
इंडिया टुडे कॉन्क्ले का हिस्सा बनते हुए सोनिया गांधी ने अमेरिका में बुश और क्लिंटन परिवार और भारत के कई राज्यों में वंशवाद का उदाहरण देते हुए ये बयान दिया. इसी दौरान जब पूर्व कांग्रेस सरकार पर लगे आरोपों के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि मनमोहन सिंह भले प्रधानमंत्री रहे हों लेकिन सत्ता उन्हीं के हाथ में थी. इसपर बोलते हुए उन्होंने कहा कि..
“उन्हें नहीं लगता कि ऐसी कोई भी स्थिति थी.”
मुश्किल दौर में ज्वाइन की थी कांग्रेस
अपने राजनितिक जीवन पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने ये भी बताया कि उन्होंने राजनीति में आने का फैसला उस वक्त लिया था जब कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजर रही है. कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि..
“कुछ लोग कांग्रेस छोड़ रहे थे. मुझे सच में यह महसूस हुआ कि मैं एक तरह से कायर होऊंगी अगर मैं पार्टी के लिए कुछ करने की कोशिश न करूं.”
निष्कर्ष
वाकई सोनिया गांधी द्वारा दिए इस बयान के बाद ये एक बार फिर साफ़ हो चला है कि कांग्रेस को लेकर सोनिया गांधी इस कदर गंभीर है कि उसके आगे अगर उन्हें अपने सगे बेटे के भी खिलाफ जाना पड़े तो वो चली जायेंगी. उनके लिए कांग्रेस ही सर्वोपरि है.