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फ़र्जी खबर दिखाने के कारण बुरी तरह से फंसा ज़ी न्यूज़ का पत्रकार सुधीर चौधरी, होगी जेल


क्या आपने कभी इस बात पे गौर किया है कि पहले की सियासत और अबकि सियासत में सबसे बड़ा फ़र्क़ क्या है? हम आपको बता दें कि पहले सियासत सिर्फ़ सियासी लोग किया करते थे लेकिन अब सियासत मीडिया कर रही है।

एंकर राजनीति और राजनेताओं का साथ बड़ी ही चतुराई से कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मीडिया एक माध्यम है लोगों तक सूचना पहुंचाने के लिए।

पिछले कुछ सालों में टीवी मीडिया से विपक्षी नेताओं का और पार्टियों का चरित्रहनन, झूठ फैलाने का काम जोरो से किया है और अब इस काम में और तेज़ी देखी जा रही है। मसलन जब एक चैनल का ऐंकर जब ये कहता है कि एक भीड़ सिर्फ़ मस्जिद के पास क्यों इकट्ठा हुई तब ये ख़बर साम्प्रदयिकता के लिए हुई थी।

एंकर सीधा-सीधा राजनेता और पार्टी का काम आसान कर देता है। ऐसा मुख्य धारा के सभी चैनल कर रहे हैं, वो एंकर रोज़ शाम को आते है और कुछ भी बोलते है और जनता के पास इतना समय कहाँ वो फ़ैक्ट चेक करें।

जनता फट से तय कर लेती है कि एंकर सही कह रहे होंगे। भले ही चिल्ला रहे है मगर सही कह रहे होंगें।

मगर एंकर जनता को उस अंधेरे में भेज रहा होता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों मीडिया संस्थानों के एंकर कर रहे हैं। महाराष्ट्र में रिपब्लिक चैनल के एंकर और मालिक अर्नब गोस्वामी पर चरित्र हनन करने पर मामला दर्ज हुआ। वहीं न्यूज़ 18 के एंकर आमिष देवगन पर झूठ फैलाने को लेकर पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

जी न्यूज़ के संपादक और डीएनए शो दिखाने वाले सुधीर चौधरी पर भी केरल की पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। सुधीर चौधरी का वैसे भी जेल से पुराना नाता रहा है। इन मामलों के दर्ज होने की सिर्फ़ एक वजह है वो है सूचना के बदले नफ़रत का प्रचार प्रसार और उसे ज़बरदस्ती जनता और देश को सच बताने का ढोंग करना।

इन मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया ट्वीटर पर लिखा कि, “फर्जी खबरों से इतनी नफरत फैलाने वाले इन सभी गोदी मीडिया एंकरों को ध्यान में रखना चाहिए। यदि उनके द्वारा किए गए आधे अपराधों के लिए भी मुकदमा चलाया गया, तो वे अपना शेष जीवन जेल में बिताएंगे।”

अब जेल जायेंगे या फिर से नफ़रत फैलायेंगे ये तो आने वाला वक़्त तय करेगा। मगर एक बात जो तय कर रहे है वो है बिना राजनीति जाए खुद का जनाधार बनाना। क्योंकि खुद देश के प्रधानमंत्री भी इन्हीं एंकरों से बात करते हैं और किसी दूसरे पत्रकार से बात करने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं होती।

ना ही प्रधानमंत्री ने 6 साल में कोई प्रेस वार्ता की है जहां उनसे बात हो सके। ये साफ़ दर्शाता है की मीडिया किसके पास है और किसकी है?

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