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इलाहाबाद के नाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को जमकर लगाई फटकार, सुनाया ऐसा फैसला कि भक्तों के छूट गए पसीने



हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। हम आपको यह भी बता दें कि अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने ये जनहित याचिका दाखिल की है.

जानकारी के मुताबिक, याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पक्षकार बनाया गया है. याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव के अनुसार इलाहाबाद नाम के साथ पौराणिकता जुड़ी हुई है. ये प्रयागराज से भी अधिक पुराना है. उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठानपुरी के शासक मनु की पुत्री इला के नाम से इलावास बना, जो बाद में इलावास और फिर इलाहाबाद हो गया.

अकबर से लेकर अंग्रेजों के शासनकाल में इलाहाबाद के नाम से ही इस जिले ने प्रसिद्धि पाई है. स्वतंत्रता आंदोलन में भी इसी नाम से इसकी ख्याति हुई. याची ने कहा कि सिर्फ नाम बदल देने से इसकी धार्मिकता में कोई वृद्धि नहीं होती है। प्रदेश सरकार ने नाम बदलने में संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का भी पालन नहीं किया.

महा!धिवक्ता से विधिक राय नहीं ली गई और न ही चेयर`मैन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से कोई राय ली गई. राजस्व कानूनों के तहत सरकार को सिर्फ राजस्व क्षेत्र बढ़ाने का अधिकार है, नाम परिवर्तन करने का नहीं. याचिका में कई अन्य पौरा`णिक साक्ष्य भी दिए गए हैं.

याचिका में अर्द्धकुंभ को कुंभ घो!षित करने पर भी आ!प`त्ति की गई है। दोनों मा!म`लों पर अब हाईकोर्ट विचार करेगा. उन्होंने कहा कि यह पौराणिक मान्यताओं के विपरीत है. ऐसा करने से पूर्व न तो संतों से राय ली गई और न ही आम जनता की मंशा समझने की कोशिश की गई. याची ने मां`ग की है कि प्रया!गराज नाम बदलकर फिर से इलाहाबाद नाम दिया जाए और कुंभ को अर्द्धकुंभ किया जाए.