हम आपको बता दें कि देश में जिस तरह का तानाशाही माहौल पनप रहा है उससे तो हम सभी वाकिफ होंगे. हम आपको यह भी बता दें कि देश की सबसे बड़ी एजेंसियां आज सवालों के घेरे में हैं और उनकी स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा रहा है.
केंद्रीय जांच एजेंसी से लेकर आरबीआई तक का आज बुरा हाल हो चुका है और यह मोदी सरकार उन पर अपना कण्ट्रोल और बढ़ाती जा रही है. ऐसे में अगर यही सिलसिला चलता रहा तो इस देश में पारदर्शिता और एजेंसियों की स्वतंत्रता खत्म होने में देर नहीं लगने वाली है. फ़िलहाल केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं.
मोदी सरकार ने उनको इस पद से हटाया बाद में उन्होंने अपनी नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है. फिलहाल अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि इस बीच एक और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ने मोदी सरकार को झटका दे दिया है.
खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ए.के. सीकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल से अपनी वापस ले ली है. आपको बता दें कि कहा जा रहा था कि उन्हें मोदी का साथ देने की वजह से फायदा मिल सकता है.
लेकिन अब उन्होंने खुद ही अपनी उम्मेदवारी वापस ले ली है और मोदी सरकार की तरफ से मिलने वाले इस पद को खुद ही लेने से इनकार कर दिया है. आपको बता दें कि जिस पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाया था, उसमे ए.के. सीकरी भी शामिल थे और उन्होंने आलोक वर्मा को हटाने के लिए वोट दिया था.
ऐसे में उन्होंने सीधे-सीधे मोदी सरकार के पक्ष में काम किया था, ऐसा कहा जा रहा था. माना जा रहा था कि अब मोदी सरकार की तरफ से उन्हें इसका ईनाम मिल सकता है और वह इस पद पर आसीन हो सकते हैं. लेकिन अब उन्होंने खुद ही अपनी उम्मेदवारी वापस ले ली है.