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2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को लगा अब तक का सबसे तगड़ा झटका, इस पूर्व बीजेपी मंत्री ने थामा कांग्रेस का हाथ


हम आपको बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव 2019 से पहले गुजरात में बीजेपी को बहुत ही तगड़ा झटका लगा है। आपको बता दें कि पूर्व बीजेपी मंत्री सुरेंद्र सिंह चौहान मंगलवार (27 नवंबर) को कांग्रेस में शमिल हो गए।

उन्होंने कुछ दिनों पहले ही पहले ही भाजपा से इस्तीफा दिया था। उन्होंने इसके पीछे की वजह भाजपा सरकार द्वारा किसान विरोधी (एंटी फार्मर) नीतियां बताई है। चौहान चार बार भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।

साथ ही वे सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण विभाग तथा श्रम व राेजगार विभाग के राज्य मंत्री रह चुके हैं। मंगलवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और गुजरात के प्रभारी राजीव सातव ने चौहान को पार्टी में शामिल करवाया।

कांग्रेस नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि भाजपा के कई पूर्व विधायक भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।चौहान ने मंगलवार को राज्य के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी को लिखे एक पत्र के माध्यम से आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी ‘किसान विरोधी और प्रो-अर्बन’ है। मीडिया से बात करते हुए चौहान ने कहा, “भाजपा और इसकी सरकार जब किसान विरोधी बन गई तो मैंने इस्तीफा दे दिया।”

उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने किसानों को लेकर जितने भी वादे किए थे, वे सारे झूठे साबित हो रहे हैं।

पूर्व भाजपा नेता ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी उन्हें और पूरी किसान बिरादरी को नजरअंदाज कर रही थी।चौहान खेड़ा तालुका के महेमदाबाद विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी गौतम चौहान ने उन्हें शिकस्त दी थी।

इसके बाद वर्ष 2017 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। अब सुरेंद्र सिंह चौहान कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस मौके पर सातव ने कहा, “चौहान का राजनीति का काफी लंबा अनुभव रहा है। आने वाले लोकसभा चुनाव 2019 में उनका यह अनुभव पार्टी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।”

इस मौके पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा कि पूर्व भाजपा विधायक लालजी मेर, जिन्होंने हाल ही में पार्टी छोड़ी है, वे भी कांग्रेस में शामिल होंगे। मेर 2012 के चुनाव में धंधुका विधानसभा क्षेत्र से पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

वे 1995 ओर 1998 में में सुरेंद्रनगर जिले के लिमड़ी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे और 2002 में चोटिला से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में, लेकिन तीनों दफा उन्हें जीत नहीं मिली थी। हालांकि, 2007 में जब किसी पार्टी द्वारा उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे चुनावी मैदान में नहीं उतरे।

2009 में वे भाजपा में शामिल हुए और सुरेंद्र नगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सोमाभाई पटेल के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। आखिरकार 2012 में भाजपा के टिकट पर धंधुका सीट से वे सदन में पहुंचे। लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा द्वारा उन्हें टिकट नहीं दिया गया।