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आइये जानते है: दावतो-तबलीग करना फर्ज़ है, या वाजिब, या सुन्नत ? इसका सबूत कुरानो-हदीस में कहाँ से है?

दावतो-तबलीग करना फर्ज़े-किफाया है, यानी पूरी उम्मत में से कुछ लोग, बराबर लगातार ‘अम्र बिल-मारूफ और नही अनिल-मुन्कर’ यानी लोगों को अच्छे कामों का हुक्म और बुरे कामों से रोकते रहें)

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