हम आपको बता दें कि अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावों के लिए अब एक साल का ही वक्त रह गया है। जैसा कि आप सब जानते हैं कि राजनीतिक पार्टियों के लिए यह वक्त काफी अहम माना जा रहा है।
साल 2014 में जिनके साथ चुनाव लड़कर बीजेपी सत्ता में आई थीं अब वहीं पार्टियां धीरे धीरे उसका साथ छोड़ रही हैं।
बीजेपी का साथ छोड़ती प्रमुख पार्टियां
सबसे पहले महाराष्ट्र में मजबूत शिवसेना ने अपना रास्ता बीजेपी से अलग करने की घोषणा की थी। वहीं अब शिवसेना के बाद आंध्र प्रदेश की तेलगु देशम पार्टी ने भी एनडीए से अपनी राह अलग करने के तेवर दिखानें शुरु कर दिए हैं। बता दें कि दोनों ही पार्टियों के बीच रिश्तों में कड़वाहट लंबे समय से चल रही थी।
आंध्र प्रदेश सरकार ने तेज किए अपने तेवर
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र सरकार के इनकार करने के बाद तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने का फैसला किया है। बीजेपी की केंद्र सरकार ने इस मामले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के जरिये डैमेज कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की लेकिन बात नही बन पायी।
केंद्र में टीडीपी के दोनों मंत्री अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी ने 8 मार्च की सुबह ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि टीडीपी के लोकसभा में 16 सांसद सदस्य हैं।
टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने साफ कर दिया अपना इरादा
पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि, ‘हमारे मंत्रियों का इस्तीफा पहला कदम है।
पार्टी एनडीए से अलग होगी। पीएम ने हमें मिलने का वक्त भी नहीं दिया और अरुण जेटली के बयान ने साफ कर दिया कि वे आंध्र प्रदेश की मदद नहीं करेंगे।’ इसके बाद से ही यह भी संभव है कि आंध्र प्रदेश की सरकार में मौजूद बीजेपी के मंत्री भी अपना इस्तीफा दे दें।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भी इनकार करते हुए दिया यह जवाब
पिछले काफी समय से टीडीपी सांसद लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अपनी राज्य के हित में मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें बुलाकर साफ कर दिया कि,
‘वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। क्योंकि एक राज्य को यह सुविधा देने से दूसरे राज्यों से भी ऐसी मांग उठेगी और केंद्र सरकार इतना वित्तीय बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है।’ साथ ही जेटली ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार विशेष दर्जे के बराबर राज्य को सभी वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार है।
टीडीपी किसी हाल में नहीं चाहती मामले में विपक्ष की दखल
वहीं दूसरी तरफ टीडीपी इस मामले पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। आंध्र प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने भी ऐलान कर दिया है, ‘यदि मार्च के अंत तक आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला तो अप्रैल के प्रथम सप्ताह में उसके सभी विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे।’
आंध्र प्रदेश की सियासत की बात की जाए तो वहां विधानसभा चुनाव होने में मुश्किल से एक साल का वक्त बाकी है, जिसे देख टीडीपी हर हाल में अपनी मांग पर अड़ी हुई है ताकि मामले में विपक्ष की दखल न हो पाए। आंध्र प्रदेश में संसद से लेकर सड़क तक यह मामला पूरी तरह से गर्माया हुआ है।
चंद्रबाबू नायडू ने इस पर कहा कि,
‘हमने प्रधानमंत्री से बात करने की कोशिश की थी। करीब एक महीने से उनसे मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन चार दिन पहले उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय मिला। हमसे कहा गया कि आप अमित शाह से मिल लीजिए। उन्होंने बताया कि साथ छोड़ने की जानकारी देने के लिए भी उन्होंने पीएम से बात करने की कोशिश की, लेकिन वह लाइन पर नहीं आए।’