लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए साल 2019 का चुनाव, 2014 के चुनाव जितना आसान नहीं होने वाला है। राजनीतिक दिग्गजों की मानें इस बार लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से आने वाली तीन पॉवरफुल महिला राजनेताओं से खासी चुनौती मिल सकती है।
इनमें से नेहरु-गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी दी गई। कांग्रसे अध्यक्ष ने देश में सबसे ज्यादा सीटों वाले सूबे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है।
प्रियंका गांधी के अलावा अन्य दो महिला राजनेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी की पूर्व सीएम व बसपा सुप्रीमो मायावती हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा को रोकने के लिए बसपा प्रमुख ने हाल के दिनों में समाजवादी पार्टी (सपा) संग गठबंधन किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा से अलग होने वाले यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘विपक्ष के पास एनडीए से ज्यादा ताकतवर महिला राजनेताएं हैं। इसलिए ये मतदाताओं के साथ आम तौर पर विश्वास कायम रखने में सक्षम होंगे।
इसमें महिला मतदाताओं के साथ खासतौर पर ऐसा होगा।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने चिंतित होना चाहिए। खासतौर पर पिछले दिनों हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्य हारने के बाद।’
जानना चाहिए कि पिछले दिनों राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री ने राजनेताओं के साथ मैन स्ट्रीम मीडिया का खासा ध्यान खींचा। 47 साल की प्रियंका गांधी और उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच समानता को लेकर मीडिया में खूब बातें हुईं।
हालांकि पीएम मोदी को आए दिनों चुनाव में सत्ता से बेदखल करने की चुनौती देने में जो दो महिलाएं हैं उन्हें राजनीति में प्रियंका काफी ज्यादा अनुभव हैं। इसके अलावा इन दोनों को गठबंधन सरकार में संभावित प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है।