नई दिल्ली/न्यूयॉर्क: 68 साल बाद आज सबसे बड़ा और चमकीला चांद दिखेगा. यह पृथ्वी से करीब 50 हज़ार किलोमीटर करीब होगा. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि सोमवार को निकलने वाला पूर्ण चंद्रमा (सुपरमून) पिछले 68 सालों के बाद पृथ्वी के सबसे करीब होगा. नासा ने यह भी कहा है कि पृथ्वी के लोगों को इस तरह की घटना के दीदार के लिए साल 2034 तक इंतजार करना पड़ सकता है.
पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, जो दो वस्तुओं के बीच समयानुसार दूरी बनाता है. जब पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा तो यह सामान्य से अधिक बड़ा और चमकदार दिखाई देगा और इसीलिए हमने इसे सुपरमून की संज्ञा दी है. नासा के अनुसार, यह सुपरमून सामान्य पूर्ण चंद्रमा से 14 से 30 प्रतिशत अधिक चमकदार हो सकता है.
जानिए इससे जुड़ी खास बातें
- पृथ्वी से चांद की दूरी सबसे कम
- 1948 के बाद यानी क़रीब 68 साल बाद सुपर मून
- जब चांद पृथ्वी के सबसे क़रीब होता है तब चांद से पृथ्वी की दूरी क़रीब 3,56,508 किलोमीटर होती है
- आम दिनों में चांद की दूरी पृथ्वी से 3,84,402 किलोमीटर होती है
- जब चांद पृथ्वी से सबसे दूर होता है तब ये दूरी चार लाख छह हज़ार किलोमीटर के क़रीब होती है…
- ऐसे में सबसे दूर और सबसे क़रीब के चांद के बीच का अंतर 50 हज़ार किलोमीटर होता है
- यह दूरी तब होती है जब सबसे दूर के चांद और सबसे क़रीब के चांद के दिन पूर्णमासी हो
- सबसे दूर के चांद से सबसे क़रीब का चांद यानी सुपरमून 14 फ़ीसदी बड़ा होता है
- सबसे दूर के चांद से सबसे क़रीब का चांद यानी सुपरमून 30 फ़ीसदी चमकीला होता है