तो चलिए अब बात करते हैं तीन तलाक बिल की। हम आपको बता दें कि राज्यसभा में विपक्ष इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर अड़ा रहा जिस पर सरकार झुकने को तैयार नहीं है।
विपक्ष और सरकार की रस्साकसी का नतीजा यह हुआ कि राजनीतिक गतिरोध की वजह से तीन तलाक बिल लटक गया। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की जी तोड़ कोशिशें भी इसे पारित नहीं करा सकी। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सरकार 29 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र के दौरान फिर तीन तलाक बिल पर राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश करेगी।
लोकसभा ने तीन तलाक बिल को पिछले हफ्ते ही पारित कर दिया था लेकिन राज्यसभा में सरकार बिल के समर्थन में जरूरी संख्या नहीं जुटा सकी। कांग्रेस लगातार बिल को सदन की सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग करती रही, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। अब बीजेपी और कांग्रेस इस गतिरोध के लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं।
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर तीन तलाक बिल को सदन की सेलेक्ट कमेटी के सामने नहीं भेजा और राज्यसभा में गतिरोध के लिए सरकार ही ज़िम्मेदार है। जबकि बीजेपी नेता विनय कटियार ने गतिरोध के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने तीन तलाक बिल पर लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग स्टैंड लिया जो उसके दोहरे रवैये को दर्शाता है।
दरअसल सबसे ज्यादा विरोध या टकराव मौजूदा तीन तलाक बिल में दोषियों के लिए तीन साल की सजा के प्रावधान को लेकर है। अब सरकार ने 29 जनवरी से संसद का बजट सत्र बुलाने का फैसला किया है। सरकार की कोशिश अगले तीन हफ्तों में बिल के प्रारूप पर राजनीतिक सहमति बनाने की होगी।।। लेकिन कांग्रेस और कई दूसरे विपक्षी दलों के रुख से साफ है कि इस मामले में सरकार के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा।