नई दिल्ली: हम आपको बता दें कि एडवोकेट प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर PIL दाखिल कर इस मामले में कोर्ट की निगरानी में CBI जांच की मांग की है। हम आपको यह भी बता दें कि बीजेपी के ये दोनों पूर्व नेता लगातार राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहे हैं। इसे लेकर वह कई बार मीडिया के सामने भी आ चुके हैं।
अब उन्होंने इस मामले में वह कोर्ट में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं। प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सीबीआई ने चार अक्टूबर को दी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
सीबीआई पर जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है। जिसके चलते वह निष्पक्ष तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है। इससे पहले राफेल डील मामले में कथित भ्रष्टाचार पर बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा लड़ाकू विमान राफेल डील में हुए गड़बड़ी की जांच शुरु करने वाले थे, लेकिन जांच शुरु होने से पहले ही मोदी सरकार ने वर्मा की जगह पहले से भ्रष्टाचार की जांच से घिरे अधिकारी एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का प्रभारी निदेशक बना दिया।
भूषण ने कहा कि, वर्मा के खिलाफ की गयी कार्रवाई का एकमात्र मकसद राफेल घोटाले की जांच को रोकना है। क्योंकि चार अक्टूबर को मैंने, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिंहा के साथ राफेल घोटाले से जुड़े सूबत आलोक वर्मा को सौंपे थे। इन तथ्यों को गंभीरता से लेते हुये वर्मा आज से जांच शुरु करने वाले थे, लेकिन इसके पहले ही मोदी सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया।
वहीं इस मामले में लगातार मोदी सरकार पर विपक्ष हमलावर होती जा रही है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, मीडिया ने बताया है कि सीबीआई निदेशक राफेल डील की जांच करना चाहते थे। मुझे लगता है कि एकमात्र कारण हो सकता है कि निदेशक का सुबह 3 बजे ट्रांसफर कर दिया गया।