ताजमहल एक मोहब्बत की निशानी है जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि भारत में ताजमहल को लेकर काफी विवाद हो रहा है। हिंदू संगठन और भाजपा के नेता इसे मंदिर बता रहे हैं। ताजमहल के इतिहास से जुड़े किस्से बहुत ही कम लोगों को पता हैं। तो आईए बात करते हैं ताजमहल से जुड़े कुछ अनसुने किस्सों की।
सारी दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना ताज महल 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था।
बेमिसाल इमारत ताज महल का निर्माण कार्य 1631 में शुरू किया गया था। खास बात यह है कि ताज महल का डिजाइन शाहजहां ने भी तैयार किया था। लेकिन, मुख्य आर्किटेक्ट तो अबू ईसा, ईसा मोहम्मद एफ्फेंदी और जेरोनिमो वेरोनियो थे।
ताज महल को बनाने के लिए करीबन 20,000 मजदूरों को काम पर लगाया गया था। मजदूरों के रहने के लिए ही मुमताजाबाद क़स्बा बसाया गया था। ताजमहल में नक्काशी के लिए फारसी नक्काश अमानत खां को लगाया गया था।
ताजमहल में संगरमरमर का सफेद पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। खास बात यह है कि संगरमरमर के बड़े पत्थरों को लाने के लिए ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें खिंचने के लिए ही 30-30 बैलों और हाथियों की जरूरत पड़ती थी।
मुमताज महल की मौत वैसे तो बुरहानपुर में हुई थी, लेकिन बाद में उन्हें ताज महल में दफनाया गया। खास बात यह है कि यमुना तट पर 1632 में ताज के लिए जमीन आमेर के राजा से खरीदी गई थी।
यह भी सच है की दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ताज को लड़ाकू हवाई जहाजों से बचाने के लिए पुरात्तव विभाग को ताज महल ढकना पड़ा था। इसे बांस के डंडों से ढक दिया गया था। 1971 में पाकिस्तान युद्ध में भी ऐसा ही किया गया था।
ताज महल के बारे में यह भी सच्चाई है कि यह इमारत दिल्ली की कुतुब मिनार से भी ऊंची हैं। ताज की ऊंचाई कुतुब मिनार से करीब 5 फीट ज्यादा है।
यूरोपियन लेखक तवेरनियर लेखों के मुताबिक शाहजहां ताजमहल की तरह अपना भी मकबरा बनवाना चाहता था। लेकिन, इसे वह काले पत्थर से बनवाना चाहता था। लेकिन, असमय मौत की वजह से उसकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी।